Shorts Videos WebStories search

सरताज सिंह का निधन भाजपा के कद्दावर नेता जिन्होंने PM Modi के एक निर्णय के कारण थाम लिया था कांग्रेस का दामन जानिए

Content Writer

whatsapp

भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पांच बार के सांसद स्वर्गीय सरताज सिंह छटवाल का बीती रात दुखद निधन हो गया।उनके निधन से पूरे नर्मदापुरम के साथ ही खासकर इटारसी में उनके कार्यकर्ताओ ने गहरा दुख व्याप्त है।स्वर्गीय सरताज सिंह ने अपना राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत इटारसी से की थी।जब वह पहली बार छह माह के लिये नगरपालिका परिषद इटारसी में अध्यक्ष के रूप में चुने गये थे।

नगर पालिका से लोकसभा का सफ़र

इटारसी नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर वे अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। और 2009 से 2016 तक मप्र सरकार में मंत्री रहे।भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। 1960 में उन्होंने दिल्ली विवि से ग्रेजुएशन किया था।

कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह को दी थी मात

इसके बाद वे हरि विष्णु कामथ के संपर्क में आए और उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। करीब दस साल बाद सरताज सिंह इटारसी नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यक्ष बने।सरताज सिंह 1989 से 1999 तक होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से लगातार चार बार सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने तीन बार कांग्रेस नेता रामेश्वर नीखरा को और एक बार कांग्रेसी दिग्गज नेता अर्जुन सिंह को चुनावी मैदान में मात दी थी।

भाजपा ने ले लिया था स्तीफा

1999 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। 2004 में वे फिर लोकसभा सांसद चुने गए।वर्ष 2008 में सरताज सिंह ने कांग्रेस के गढ़ सिवनी मालवा सीट से विधानसभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराकर बड़ी जीत हासिल की। इसके बाद उन्हें भाजपा सरकार में मंत्री भी बनाया गया। 2013 में वे फिर जीतकर आए और मंत्री बने, लेकिन 2016 में 75 साल की उम्र के फेर में उनसे इस्तीफा ले लिया गया। इसके बाद लगातार पार्टी और नेतृत्व से नाराज होने के उनके बयान सामने आते रहे।

PM Modi के एक निर्णय के कारण थाम लिया था कांग्रेस का दामन

अमित शाह द्वारा भोपाल दौरे के दौरान मंत्री पद के लिए 75 साल का फार्मूला नहीं होने की बात कहने के बाद सरताज फिर मुखर हुए और सिवनी मालवा से चुनाव की तैयारी में जुट गए। लाख कोशिशों के बाद भी उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो नामांकन फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख से एक दिन पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया और होशंगाबाद से प्रत्याशी बन गए।लेकिन भाजपा से उम्मीदवार डॉक्टर सीतासरन शर्मा जो उनके चेले थे उनके सामने सरताज सिंह को हार का सामना करना पड़ा।सीतासरन शर्मा के राजनीतिक गुरु थे स्वर्गीय सरताज सिंह।विगत कई महीनों से सरताज सिंह बीमार चल रहे थे।

हमें बेहद उम्मीद है की खबर आपको पसंद आई होगी। इस खबर को अपने दोस्तों और परिवारजनों सहित व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करें।

Featured News
Content Writer

संजय विश्वकर्मा खबरीलाल न्यूज़ पोर्टल हिंदी में कंटेंट राइटर हैं। वे स्टॉक मार्केट,टेलीकॉम, बैंकिंग,इन्सुरेंस, पर्सनल फाइनेंस,सहित वाइल्ड लाइफ से जुड़ी खबरें लिखते हैं।संजय को डिजिटल जर्नलिज्म में 8 वर्ष का अनुभव है।आप संजय से 09425184353 पर सम्पर्क कर सकते हैं।