मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आए अप्रत्याशित परिणाम के बाद में भाजपा में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनने की संभावना काफी कम आकी जा रही है। लेकिन देखने वाली बात यह है कि जैसे 2018 में चुनाव हारने के बाद शिवराज सिंह चौहान पूरे मध्यप्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे पर निकल गए थे। छोटी-छोटी रैलियां और आम सभा के माध्यम से भाजपा कार्यकर्ताओं को संबल दिला रहे थे और कह रहे थे कि टाइगर जिंदा है। ठीक उसी तरह भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा प्रदेश में मुख्यमंत्री के लिए कवायद जारी है वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे पर निकल गए हैं और अपना दौरा कमलनाथ की गढ़ यानी छिंदवाड़ा से चालू किया है।
मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा तबका 2023 की जीत के पीछे लाडली बहना योजना को मान रहा है। वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अदावत रखने वाले तबका पूरा का पूरा क्रेडिट देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे रहा है। लेकिन अगर बात प्रदेश की जनता की करें तो पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा आम है कि मध्य प्रदेश में जो जनादेश भाजपा को मिला है, उसमें ज्यादा श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना लाडली बहन योजना का है।
तमाम सियासी उठाके पाठक के बीच राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह के द्वारा मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में केंद्रीय प्रवेश को की नियुक्ति की गई है जो विधायक दल के नेता को चुन्नी की प्रक्रिया को पूरा करेंगे। बात करें अगर मध्य प्रदेश की तो मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल खट्टर सहित ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर की लक्ष्मण एवं ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा को मध्य प्रदेश भेजा गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में एक बड़ा ओबीसी चेहरा है इस ओबीसी चेहरे को पीछे करने के लिए प्रहलाद पटेल का नाम जोरों पर चल रहा है। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी रेस में बताए जा रहे हैं। इन सबके बीच में कैलाश विजयवर्गीय ने भी महत्वाकांक्षा पाल रखी है।