जिला अस्पताल के सिविल सर्जन सहित डॉक्टर उस समय हैरानी में पड़ गए जब राजे बामौरा का रहने बाले गोरेलाल ने अपने थैले से एक नवजात का पैर से अलग हुए पंजा सिविलसर्जन एसएस छारी को दिखाया।
दरअसल बुखार से पीड़ित 1 माह के नवजात को गोरेलाल ने 25 जून को जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में भर्ती कराया था,जिसके बाद उसे अस्पताल स्टाफ ने पहचान के लिए पैर में टेग लगा दिया था.5 दिन नवजात की भर्ती रख उसे भोपाल रिफर कर दिया था.जहां आराम मिलने के बाद परिजन नवजात को घर ले आये थे।लेकिन शनिबार दोपहर 3 बजे नवजात के पैर का पंजा अचानक अलग हो गया.
आनन फानन में परिजन नवजात सहित पैर से अलग पंजे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे।
नवजात के पिता गोरेलाल ने सीएनसीयू के स्टाफ पर बच्चे के इलाज में लापरवाही बताते हुए कहा, कि उसे जो टैग लगाया गया था, उसी के कारण उसकी यह स्थिति हुई है। क्योंकि जब भोपाल में उसे टैग को हटाया गया था, तो उसी के साथ बच्चे की खाल भी निकल गई थी। जबकि SNCU के डॉक्टर दुबे से बात की गई तो उनका कहना था की बच्चों के पैर में गैंग्रीन जैसी स्थिति बन रही थी। जिसके कारण इसको हाई ट्रीटमेंट के लिए भोपाल रेफर किया गया था। लेकिन संभवत यह बगैर इलाज कराए ही वहां से वापस आ गया।
हालांकि इस पूरे मामले में गोरेलाल की शिकायत पर सिविल सर्जन ने मामले की जांच करने की बात कही है। फिलहाल गोरेलाल को दो बेटियों के बाद यह लड़का हुआ था, जो आप अपने पैर का पंजा गवा बैठा।हालांकि सर्जन डॉक्टर ने अब पंजे की जुड़ने की बात को संभव बताया है।