मध्यप्रदेश के बांधवगढ टाईगर रिज़र्व से एक 5 वर्षीय बाघ को संजय टाईगर रिज़र्व शिफ्ट किया गया है।डिप्टी डायरेक्टर बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व ने बताया कि संजय टाईगर रिज़र्व क्षेत्र के व्योहारी क्षेत्र में करंट लगने से एक बाघिन की मौत के बाद यह नर बाघ शावक और एक मादा शावक जंगल मे भटक कर रहवासी क्षेत्र में आ गए थे।जहां इस नर बाघ की बहन मादा बाघिन शावक एक कॉन्फ्लिक्ट में पाई गई थी। जिस कारण इन दोनों को दिसंबर 2020 में रेस्कयू कर बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व लाया गया था।और इस नर बाघ शावक को मगधी कोर ज़ोन में बने इनक्लोजर में रखा गया था। इसकी बहन को अन्य टाईगर रिज़र्व में मादा बाघ की आवश्यकता होने के कारण शिफ्ट कर दिया गया था।लेकिन इस नर बाघ को जो अब लगभग 5 साल का हो गया था इसे बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के इनक्लोजर में ही रखा गया था।
वतर्मान समय मे संजय टाईगर रिज़र्व में अभी कुछ गाँव को कोर ज़ोन से हटाकर रीलोकेट किया गया है और वहां कुछ नए एरिया अभी बाघों के लिए बनाया गया है।इसलिए वहां छोड़ने की अनुमति मिलने के बाद इस नर बाघ को शिफ्ट किया गया है।
इस नर बाघ को संजय टाईगर रिज़र्व में कॉलर आईडी पहना कर छोड़ा गया है।जिस कॉलर को बाघ को पहनाया गया है वह सेटेलाइट से कनेक्ट होने के साथ साथ VHF भी है।VHF को ट्रैक करने के लिए 2 से 3 वन्य कर्मियों का स्टाफ लगा रहा रहता है।उक्त टीम के पास एंटीना और रिसीवर होता है इसके माध्यम से टीम फ्रीक्वेंसी को चेक कर टाईगर की लोकेशन लेती रहती है।यदि टाईगर VHF फ्रीक्वेंसी से दूर हो जाता है और ढूंढने में कठिनाई होती है ऐसे में सैटेलाइट के माध्यम से टाइगर की लोकेशन ली जाती है। और उक्त स्थान में VHF के माध्यम से एग्जैक्ट लोकेशन मिल जाती है।
बाल को शिफ्ट करने से पहले दो डॉक्टर और एक एक्सपर्ट्स की टीम के माध्यम से बाकी एक्टिविटी की निगरानी की गई है। और देखा गया है कि बाघ शिकार करने में सक्षम है या नहीं। टीम के द्वारा देखा गया कि वह बोमा तकनीकी के माध्यम से जिन चीतलों को एंक्लोजर में शिफ्ट किया जा रहा था।उनका शिकार बाग बड़ी आसानी से कर ले रहा था। जो एनिमल वाइल्ड में फिट होने वाले होते हैं ऐसी एनिमल्स को जंगल में फ्री हैंड छोड़ा जाता है। जो एनिमल शिकार करने के लायक नहीं होते हैं उन्हें जू भेज दिया जाता है।