MP High Court News : एक अहम फैसले में मप्र हाईकोर्ट ने कोविड काल में अपनी जान गंवाने वाले योद्धा की विधवा को योजना का लाभ देने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं।
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई योजना का उद्देश्य कोविड काल में ड्यूटी निभाते हुए शहीद हुए कर्मचारियों के परिवारों की मदद करना है। इसके लिए कोविड संक्रमित होने का प्रमाण देना जरूरी नहीं है, बल्कि यह सिद्ध होना पर्याप्त है कि कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात थे और कार्य के दौरान ही मृत्यु हुई। ऐसे में सरकार दिवंगत कर्मचारी की विधवा को उसके हक से वंचित नहीं कर सकती। इस मत के साथ अदालत ने 90 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को मुआवजे का भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
यह याचिका जबलपुर के पोलीपाथर में रहने वाली अंजू मूर्ति उपाध्यान की ओर से वर्ष 2020 में दायर की गई थी।
कलेक्ट्रेट में पदस्थ था पति
पदस्थापना : दिवंगत पति राजीव उपाध्याय जबलपुर कलेक्ट्रेट में असिस्टेंट बोड-3 के पद पर कार्यरत थे।
कोविड ड्यूटी : मार्च 2020 में उन्हें प्रवासी मजदूरों के लिए बस एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
मौत : लगातार ड्यूटी और तनाव के चलते ड्यूटी के दौरान 20 मार्च को हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।
मृत्यु प्रमाणपत्र : 15 जून 2020 को जारी किया गया।
सरकारी योजना : 17 अप्रैल 2020 को सरकार ने कोरोना योद्धाओं के परिजनों के लिए आर्थिक सहायता योजना शुरू की वी (23 अप्रैल को स्पष्ट की गई )
आवेदन : पत्नी ने इसी योजना के तहत लाभ पाने के लिए आवेदन किया।
कलेक्टर की सिफारित : 24 जलाई 2020 को नाम सरकार को भेजा गया।
सरकार का निर्णय: 28.10.20 को आवेदन यह कहते हुए खारिज किया कि पात्रता योजना में शामिल नहीं है।
याचिका : इस आदेश को चुनौती देकर पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
सुनवाई : अधिवक्ता संजय कुमार वर्मा याचिकाकर्ता को ओर से पक्ष रखा।
फैसला : अदालत में सरकार का आदेश खारिज किया और याचिकाकर्ता को राहत दी।