Hight Court News : छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव में पदस्थ स्पेशल जज के रूप में काम कर रहीं एक महिला जज द्वारा पॉक्सो मामले में की गई लापरवाही पर मप्र हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनीन्द्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा- सीनियर एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज से उम्मीद की जाती है कि वो कानून को समझें और उसे पूरी ताकत से लागू करें। हम यह अपेक्षा नहीं कर सकते कि स्पेशल जज के रूप में काम करने की जिम्मेदारी वाले सीनियर जज कानूनी प्रावधान से अनभिज्ञ रहें। ऐसे में जरूरी है कि चीफ जस्टिस के सामने यह फाइल भेजी जाए, ताकि वे निर्णय ले सकें कि महिला जज को रिफ्रेशर कोर्स की जरूरत है या वे विशेष न्यायाधीश के रूप में काम करने की हकदार हैं। छिंदवाड़ा जिले के तामिया थानांतर्गत ग्राम मुंगसिया में रहने वाले प्रेमलाल कुमरे को पॉक्सो मामले में जुन्नारदेव की अपर सत्र न्यायाधीश सोमप्रभा चौहान ने 25 फरवरी 2022 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देकर यह अपील हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी।
क्या था विवाद
डिवीजन बेंच ने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने एफएसएल रिपोर्ट का सहारा तो लिया, पर उसे न तो एग्जिविट किया और न ही आरोपी से दंप्रस की धारा 313 के तहत आरोपी से सवाल किए गए। इतना ही नहीं, ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता की उम्र 13 साल मानकर अपना फैसला सुनाया।
आरोपी की सजा घटी
सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पॉक्सो एक्ट की धारा 3 व 4 के तहत आरोपी को दी गई उम्रकैद की सजा को अनुचित पाया। बेंच ने उम्रकैद की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया, जबकि अन्य धाराओं में दी गई सजा को यथावत रखा।