प्रधानमंत्री आवास योजना केद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना हैं और इस योजना के पीछे केंद्र सरकार का उद्देश्य है की हर गरीब की छत पक्की हो जाए ताकि धुप,बरसात और ठण्ड से वह बच सके,योजना के क्रियान्वयन के लिए जमीनी अमला तैनात है और पात्रता अनुसार आवास योजना का लाभ आम जन को मिल रहा है लेकिन आपने कभी सोचा है की प्रधानमंत्री से ही किसी ने मिलकर आवास योजना का लाभ देने की बात की हो.
सरकारी सिस्टम की मार क्या होती है कैसे हर दिन सबसे अंतिम छोर में रहने वाले गरीब को अफसरों की तानाशाही और लापरवाही का शिकार होना पड़ता है इसकी अगर आपको बानगी देखनी है तो आपको इसके लिए मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले यानी उमरिया आना पड़ेगा जहाँ आप देख पायेगे की एक 80 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिला के लिए नारी शक्ति सम्मान और पद्म श्री अवार्ड पाना प्रधानमंत्री आवास पाने से ज्यादा सरल और सहज है.
बात अटपटी लग रही होगी पर आपको बता दे कि उमरिया जिले के एक छोटे से गाँव लोढ़ा में रहने वाली जोधईया बाई जो आज पूरे देश में पद्मश्री जोधईया बाई के नाम से जानी जाती है उन्होंने आवास के लिए बीते एक साल पहले 8 मार्च 2022 अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी से मिलने के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगानी पड़ गई थी. लेकिन पंचायत और जिला स्तर की दावपेच में पक्की छत का सपना भी स्वय पीएम मोदी भी उसे त्वरित न दे पाए,पीएम मोदी तक बात जाने के बाद भी जिला प्रशासन एक्टिव हुआ पर तब भी जोधईया बाई का आवास का सपना पूरा नही हो पाया था.
जोधईया बाई ने अपने गुरु आशीष स्वामी से सिर्फ कैनवास में चित्र उकेरना सीखा था बस उसी कम में वह माहिर है भला ऑफिस ऑफिस के खेल से वह कैसे निपट पाती यही कारण है की नारी शक्ति सम्मान सम्मान के बाद कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरुस्कार पाने के बाद भी जोधईया बाई की पक्की छत का सपना पूरा नही हुआ हो पाया था.
कैसे हुआ पक्की छत का सपना
आपको बता दें की हाल ही में जब पद्मश्री अवार्ड के लिए एक बार फिर जब जोधईया बाई का नाम सुर्खिओं में आया फिर से आवास का मुद्दा गरमाया और मध्यप्रदेश के राज्यपाल ने एक लाख पचास हजार रूपए आवास जीर्णोद्धार के लिए प्रदान किए है. साथ ही उमरिया जिले में ट्रायबल आर्ट क्लस्टर्स को बढ़ावा देने के लिए 5 लाख रुपए की राशि भी जोधईया बाई के लिए भेजी गई है.
शायद पद्मश्री जोधईया बाई के लिए नारी शक्ति सम्मान और पद्मश्री सम्मान से ज्यादा आवास के लिए मिले चेक की राशि ज्यादा सुकून दी होगी,आदिवासी अंचल में न जाने कितनी जोधईया आवास और अन्य योजनाओं के लिए संघर्ष कर रही होगी उन हर जोधईया बाई को राज्यपाल राशि तो नही भेज पाएँगे पर आवास योजना के और भी सरलीकरण की जरुरुत है ताकि पात्र हितग्राही कागजों के ताने बाने में उलझ कर न रह जाए.