Fingerprint investigation : विदिशा में फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ के पद पर पदस्थ श्री योगेंद्र साहू उपनिरीक्षक अंगुल चिन्ह, के द्वारा वर्ष 2022 में जिले के समस्त थानों में गंभीर एवं संपत्ति संबंधी अपराधों में त्वरित कार्रवाई करते हुए शीघ्र घटनास्थल का मौका मुआयना कर अधिक से अधिक फिंगरप्रिंट प्राप्त कर भारत शासन की महत्वकांक्षी योजना छंपि (नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट सिस्टम) के माध्यम से पूरे मध्यप्रदेश के जिलों में विदिशा जिले के द्वारा सर्वाधिक अपराधियों की पहचान की गई है। परिणाम स्वरूप मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक द्वारा उपनिरीक्षक अंगुल चिन्ह योगेंद्र साहू को मध्यप्रदेश में सर्वाधिक प्रकरण ट्रेस करने पर स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया है।
उंगलियों के निशान अपराधियों की पहचान करने में कैसे सहायक होते हैं?
फिंगर प्रिंट से अपराधी की कुंडली तैयार की जाती है। इस प्रक्रिया से कई अपराधी पकड़े जा चुके हैं। किसी भी अपराध में अपराधी का पता लगाने के लिए उसकी पहचान के लिए अपराध स्थल से उसके फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं। मौका प्रिंट एकत्र और संग्रहीत किए जाते हैं। रिकॉर्ड में पुराने प्रिंट का मिलान किया जाता है, अगर अपराधी पेशेवर है तो उसके फिंगरप्रिंट के बारे में सारी जानकारी रिकॉर्ड में मिल जाती है. इसके अलावा जब कोई अपराधी पकड़ा जाता है तो घटनास्थल से प्राप्त उंगलियों के निशान उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होते हैं।
फिंगर प्रिंट विभाग की वर्तमान स्थिति क्या है?
कुछ साल पहले तक फिंगरप्रिंट कलेक्शन को फोटोग्राफी पर निर्भर रहना पड़ता था। घटना स्थल की फोटो साफ थी तो अपराधी के उंगलियों के निशान भी दिख रहे थे। लेकिन अब फोटोग्राफी की जरूरत नहीं रह गई है, इसे भी डिजिटाइज किया जा रहा है। फिलहाल राज्य स्तर पर अपराधियों का रिकार्ड पेश किया गया है. इसे निकट भविष्य में एनसीआरबी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत किया जा रहा है, जिसके माध्यम से किसी भी अपराधी की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी। अपराधी चाहे किसी भी राज्य का हो, उसका डाटा उपलब्ध रहेगा।