मध्यपदेश के उमरिया जिले से ईसाई मिशनरीज का एक नया खेल सामने आया है. आरोप लगाए जा रहे हैं कि यहां बीमारी ठीक करने के नाम पर लोगों को धर्मांतरण करने पर जोर दिया जा रहा है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक परिवार ने भागवत कथा वाचक की कथा से प्रभावित होकर घर वापसी की है मतलब पुनः सनातन धर्म का रास्ता इखियार किया हैं,बीते छः माह से अधिक समय तक मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे परिवार की जुबानी सुनकर आपकी रूह काप जाएगी.
पूरा मामला उमरिया जिले के चंदिया नगर का हैं वैसे तो चंदिया नगर के बारे में आम धारणा यह है की यहा पढ़े लिखे लोगो की हर परिवार में संख्या जयादा है यही कारण हैं की चंदिया नगर में लगभग हर घर से कोई न कोई छोटी बड़ी शासकीय सेवा में है लेकिन चंदिया नगर का दूसरा स्याह पक्ष यह है की इन दिनों नगर में धर्मांतरण का खेल बड़ी तेजी से चल रहा हैं.
ऐसे फूटा धर्मपरिवर्तन का भांडा
दरअसल चंदिया नगर के वार्ड नम्बर 02 निवासी कमलेश चौधरी अपनी धर्मपत्नी की बिगड़ी तबियत को लेकर काफी चिंतित थे और लगातार ईलाज के लिए डॉक्टर्स के चक्कर लगा रहे थे उसी बीच कुछ लोगो ने उन्हें सलाह दी की ईसाई धर्म अपना लो तो आपकी धर्म पत्नी की तबियत ठीक हो जाएगी. लेकिन जब मैं उनकी सभाओ में जाना चालू कर दिया तो मुझे अच्छा नही लगता था,उन सभाओ में मेरे जैसे ऐसे लोग पहुचते थे जिन्हें कोई न कोई समस्या बनी रहती थी वहा सब एक साथ बैठकर दुआ प्रार्थना करते थे. साथ ही मुझे यह निर्देश दिया गया था की अब तुम कोई पूजापाठ नही करना और देवी देवताओं से दूर रहने के लिए कहा गया था.
आत्महत्या करने के रोज आते थे ख्याल
वही ने बताया की मेरी तबियत बीते 2 वर्षों से काफी ख़राब रहती थी.आसपास के जिलों में मैंने ईलाज करवाया पर आराम नही मिल रहा था. ईसी बीच कुछ लोगो ने सलाह दी की तुम चर्च जाओ वहा आराम मिल जाएगा. बीते कई माह से मै हर रविवार वहा होने वाली चंगाई सभा में जा रही थी पर मुझे कोई आराम नही लगा. उलटे मेरी मानसिक स्थित्ति और ख़राब होती चली गई.मुझे दिमागी चिंता सताने लगी,मुझे आत्महत्या करने के ख्याल रोज आने लगे.मै कभी अपने नजदीक में चाक़ू तो कभी कुल्हाड़ी रखने लगी और कभी रस्सी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मै रस्सी से लटक कर अपनी जान दे दूं.लेकिन जब मै कथाचार्य जी के सम्पर्क में आई तो मेरा मन परिवर्तित हुआ और मैंने पुनः पति के साथ हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया.
बिना बाइबल के मुझे नींद नही आती थी
आगे बताती हैं की जब से ईसाई धर्म स्वीकार किया था तबसे मुझे रात में नीद तब तक नही आती थी जब तक मै अपने बगल में बाइबिल रखकर नही सोती थी. लेकिन जब मैंने 30 मार्च की रात को हिन्दू धर्म स्वीकार किया है तो बीते एक साल बाद मैं अपनी पूरी नींद ले पाई हूँ अब कभी भी हिन्दू धर्म नही से बाहर नही जाउंगी. हमे वहा पूजा पाठ करने से भी रोका गया था.
क्या है चंगाई सभा
आपको बता दें कि ईसाई मिशनरी आम लोगों को बीमारियों से निजात दिलाने के लिए आदिवासी और पिछड़े इलाकों में हीलिंग मीटिंग करते हैं. इस सभा में ईसा मसीह से प्रार्थना की जाती है। हीलिंग मीटिंग्स, जिसे यीशु हीलिंग मीटिंग्स या हीलिंग मीटिंग्स के रूप में भी जाना जाता है, मेथोडिस्ट या मेथोडिस्ट चर्चों द्वारा आयोजित की जाती हैं। उन लोगों का दावा है कि इसमें मरीज ठीक हो जाता है, हालांकि मेडिकल साइंस इस बात को नहीं मानता और कई जगहों पर उपचार सभाओं में धर्मांतरण का काम किया जाता है.
सनातन की अलख जगाना मेरा उद्देश्य
वही कथावाचक शैलेन्द्र नन्द ने जानकरी देते हुए बताया की ईसाई मिशनरीज बीमारी के ईलाज करने का झूठा दिखावा करके बड़ी सक्रियता के साथ धर्मांतरण करने का काम कर रही है. जो जरा भी ठीक नही है,उन्होने आगे बताया की यह कोई पहला प्रकरण नही हैं जब मेरी कथा के दौरान घर वापसी हुई हो इसके पहले भी ऐसे कई लोगो की घर वापसी मेरे द्वारा हुई है, हाल ही में बालाघाट जिले में कथा के दौरान १३ परिवारों की घर वापसी हुई हैं साथ ही लालबर्रा में भी कई परिवारों की घर वापसी हुई है. उमरिया जिले की इस चंदिया नगर में अभी कुछ और परिवार हमारे सम्पर्क में हैं जिनकी घर वापसी होना हैं.
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पूरे जिले में चल रहा हैं धर्मांतरण का गोरखधंधा
आदिवासी जिले उमरिया के चंदिया नगर ही नही बल्कि जिले के सैकड़ों गाँव और कई शहर में ईलाज के नाम पर धर्मांतरण का खुला खेल चंगाई सभाओं के नाम पर चल रहा है.
वही पूरे मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिपाल सिंह महोबिया का कहना हैं की यदि को अपनी स्वेक्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो यह उस व्यक्ति का मौलिक अधिकार है लेकिन यदि गुमराह करके किसी का धर्म परिवर्तन किया जाता है और ऐसे मामलों की शिकायत पुलिस तक आएगी तो गुमराह करने वालें लोगो पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी.
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Article by
Sanjay Vishwakarma TV Journalist