क्राइमदेश-विदेश

Atiq Ahmed माफिया से कैसे बन गया था माननीय सांसद और विधायक

Atiq Ahmed प्रयागराज में शनिवार रात कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई। इसी दौरान दोनों मीडिया से बात कर रहे थे कि हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी। अतीक का जन्म 1962 में एक मामूली पृष्ठभूमि के परिवार में हुआ था। अतीक के पिता रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाते थे। लेकिन 1979 में हाई स्कूल से फेल हुए अतीक पर अमीर और ताकतवर इंसान बनने का जुनून सवार था।

प्रयागराज के चकिया इलाके के तांगेवाला के बेटे Atiq Ahmed ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था. 10वीं में फेल होने के बाद अतीक अपराध की दुनिया में पूरी तरह से सक्रिय हो गया और महज 17 साल की उम्र में उस पर पहली बार हत्या का आरोप लगा। इसके बाद उसने कई अपराध किए। चकिया और उसके आसपास में उसका दबदबा और खौफ बढ़ा तो उसने रंगदारी लेना  शुरू कर दी।

 ऐसे हुई क्राइम जगत में एंट्री

अपराध की दुनिया में अतीक की एंट्री साल 1979 में इलाहाबाद में हुए एक मर्डर केस से हुई थी. उस वक्त Atiq Ahmed की उम्र महज 17 साल थी। अतीक ने अगले तीन दशकों तक इलाहाबाद, फूलपुर और चित्रकूट में गिरोह चलाया। जानकारी के अनुसार इलाहाबाद के खुल्दाबाद थाने में अतीक की हिस्ट्रीशीट का नंबर 39ए है. पुलिस फाइल के मुताबिक, अतीक का गिरोह अंतरराज्यीय गिरोह 227के रूप में सूचीबद्ध है, जिसमें 121 सदस्य शामिल हैं।

 अपराध के बाद राजनीति में रखा कदम

साल 1989 में अतीक अहमद डॉन से नेता बने। 2004 के बाद से वह लगभग छह बार चुनाव जीत चुके हैं। इनमें अतीक पांच बार इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक और एक बार फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. अतीक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में की थी। इसके बाद अतीक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और बाद में अपना दल की सदस्यता ले ली। अतीक 2004 में सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन 2014 के चुनाव में हार गए। इसके बाद साल 2018 में अतीक ने लोकसभा उपचुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए।

इन सबके बीच साल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में Atiq Ahmed का नाम सामने आया. राजू पाल ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को चुनाव में हराया था. अतीक गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती जेल में बंद था। 3 जून 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद को गुजरात जेल भेज दिया गया। अतीक का भाई भी सलाखों के पीछे था। जबकि उनकी पत्नी कुछ महीने पहले ही बसपा में शामिल हुई हैं। बताया जाता है कि वह बसपा के टिकट पर प्रयागराज से मेयर का चुनाव लड़ना चाहती थीं। अब बसपा ने भी उनकी पत्नी को किसी चुनाव में टिकट देने से इनकार कर दिया है.

Atiq Ahmed विदेशी हथियारों और विदेशी गाड़ियों का शौकीन था। इससे दर्जनों विदेशी वाहन उनके बेड़े में शामिल हो गए। उसने विदेशी हथियारों की आपूर्ति के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और कुछ आतंकी संगठनों से गठजोड़ किया है। यूपी की एसटीएफ की पूछताछ में अतीक ने माना कि पंजाब बॉर्डर पर ड्रोन तस्करों द्वारा गिराई गई हथियारों की खेप उसके पास आसानी से पहुंच जाती थी।

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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