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ये हैं संतोष आनंद के लिखे 5 बेहतरीन नगमे जिन्हें सुनते ही खिल जाता है मन

संतोष आनंद के द्वारा लिखे गए नगमे आज भी सदाबहार नागमों की सूची में शुमार है। आज हम आपको संतोष खान की दुआ लेकर जाए टॉप 5 नगमों की जानकारी देंगे। 1. एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी ...

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संतोष आनंद के द्वारा लिखे गए नगमे आज भी सदाबहार नागमों की सूची में शुमार है। आज हम आपको संतोष खान की दुआ लेकर जाए टॉप 5 नगमों की जानकारी देंगे।

1.
एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है

कुछ पाकर खोना है, कुछ खोकर पाना है
जीवन का मतलब तो, आना और जाना है
दो पल के जीवन से, इक उम्र चुरानी है

तू धार है नदिया की, मैं तेरा किनारा हूँ
तू मेरा सहारा है, मैं तेरा सहारा हूँ
आँखों में समंदर है, आशाओं का पानी है

2.
ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
लम्बी-लम्बी उमरिया को छोड़ो
प्यार की इक घड़ी है बड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी

उन आँखों का हँसना भी क्या
जिन आँखों में पानी न हो
वो जवानी, जवानी नहीं
जिसकी कोई कहानी न हो
आँसू हैं ख़ुशी की लड़ी

3.
ये गलियाँ ये चौबारा, यहाँ आना न दोबारा
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
ले जा रँग-बिरंगी यादें, हँसने रोने की बुनियादें

मेरे हाथों में भरी-भरी चूड़ियाँ, मुझे भा गई हरी हरी चूड़ियाँ
देख मिलती हैं तेरी-मेरी चूड़ियाँ, तेरे जैसी सहेली मेरी चूड़ियाँ
तूने पीसी वो मेहँदी रँग लाई, मेरी गोरी हथेली रचाई
तेरी आँख क्यों लाडो भर आई, तेरे घर भी बजेगी शहनाई
सावन में बादल से कहना, परदेस में मेरी बहना

4.
मैं ना भूलूंगा, मैं ना भूलूंगी
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को

चलो जग को भूले, ख़यालों में झूले
बहारों में डोले, सितारों को छू ले
आ तेरी मैं माँग सवारूँ , तू दुल्हन बन जा
माँग से जो दुल्हन का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी

समय की धारा में, उमर बह जानी है
जो घड़ी जी लेंगे, वही रह जानी है
मैं बन जाऊँ साँस आखिरी, तू जीवन बन जा
जीवन से साँसों का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी

5.
मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे

कहाँ से तू आया, कहाँ जायेगा तू
कि दिल की अगन से, पिघल जायेगा तू
धुआं बन गयी है ख्यालों की महफ़िल
मेरे प्यार की जाने, कहाँ होगी मंज़िल
मेघा रे मेघा रे
मेरे गम की, तू दवा रे

बरसने लगीं हैं बूँदें, तरसने लगा है मन
ज़रा कोई बिजली चमकी, नरजने लगा है मन
और ना डरा तू मुझको, ओ काले काले घन
मेरे तन को छू रही है, प्रीत की पहली की पवन
मेघा रे मेघा रे
मेरी सुन ले तू सदा रे।

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