लाइफ स्टाइल

अब अपने पालतू कुत्ते का करवाए बीमा रिस्क कवर सहित मिलेगीं ये सुविधाएँ 

थर्ड पार्टी को होने वाले नुकसान को भी यह बीमा करेगा कवर

भारत में पिछले कुछ दशक से पालतू कुत्तों को घर में रखने का तेजी के साथ चलन बढ़ रहा हैं. इसी के साथ अभी हाल ही में पालतू कुत्तों के द्वारा काटे जाने पर हुई मौत की ख़बरों ने काफी सुर्खिया बटोरी हैं.इन्ही ख़बरों के साथ देश के कई शहरों में तो कुत्तों को पालने को लेकर कई कड़े नियम भी बनाए गए है.इसी कारण अब इनके देख रेख को लेकर लोग ज्यादा गंभीर भी हो रहे हैं साथ ही पालतू कुत्तों से जुड़े विभिन्न तरह के उत्पादों से भी बाजार भरा पड़ा हैं.इनके खाने पीने के उत्पादों से लेकर चिकित्सीय सुविधाओं का अम्बार सा लग रहा हैं.जनरल इंश्योरेंस कम्पनिया भी पालतू पशुओं के लिए कई आकर्षक प्लान्स मार्केट में लांच कर रही हैं.

अधिकतर लोगों को पेट इंश्योरेंस(pet insurance)  की नही है जानकारी :

इंडिया को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला पेट मार्केट के रूप में देखा जा रहा है। इसके बावजूद उनके इलाज पर आने वाले खर्च को लेकर जागरूकता देखने को नहीं मिलती है। बजाज आलियांस के चीफ टेक्निकल ऑफिसर टी ए रामालिंगम ने खबरीलाल से बात करते हुए कहा की  “ज्यादातर लोगों को पेट के इंश्योरेंस को लेकर मार्केट में उपलब्ध प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी ही नहीं है।”

 

 इंडिया में तेजी से बढ़ रही पेट की आबादी

कंपनियां के पेट इंश्योरेंस प्लान में कई तरह के रिस्क कवर किए गए हैं। इनमें उनके इलाज का खर्च, सर्जरी और यहां तक कि उनकी चोरी भी शामिल हैं। डेटा एनालिटिक्स के ग्लोबल कंपनी Statista के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में इंडिया में पेट की आबादी काफी बढ़ी है। 2014 में इनकी आबादी 1.26 करोड़ थी। यह 2019 में बढ़कर 2.14 करोड़ हो गई। इसके 2023 तक 3.1 करोड़ पहुंच जाने की उम्मीद है।

प्राइवेट कंपनियों की योजनाओं से बढ़ी प्रतियोगिता-

वैसे तो देश मे कई बड़ी सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां लंबे अरसे से पेट के लिए इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स ऑफर करती आ रही हैं। इनमें New India Assurance, National Insurance और Oriental Insurance शामिल हैं। फर्क यह आया है कि अब प्राइवेट कंपनियों ने भी पेट इंश्योरेस से जुड़े प्रोडक्ट्स को प्रमोट करना शुरू कर दिया हैं।  प्राइवेट कंपनीज़ के प्रोडक्ट्स में ज्यादा फीचर्स भी हैं।

 भारत में तेजी से बढ़ रही पालतू जानवरों की आबादी-

जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की पालतू बीमा योजनाओं में कई प्रकार के जोखिम शामिल होते हैं। इनमें उनके इलाज, सर्जरी और यहां तक कि यदि पालतू कुत्ते चोरी हो जाए तो उसका खर्च भी योजनाओं मे शामिल है। खबरीलाल की जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश में पालतू जानवरों की आबादी में उत्तरोतर वृद्धि हुई है। 2014 में पालतू पशुओं की जनसंख्या लगभग 1.26 करोड़ थी। 2019 में यह बढ़कर 2.14 करोड़ हो गई थी।  2023 तक इसके 3.1 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान हैं।

कैसे काम करती हैं ये योजनाएँ ?

पेट इंश्योरेंस पॉलिसी आपके पेट के हेल्थ और उसके बीमार पड़ने पर इलाज खर्च को कवर करती है। जिस तरह से इनसानों के लिए हेल्थ पॉलिसी काम करती है, उसी तरह से ये पेट पॉलिसी भी पेट को होने वाले किसी तरह के नुकसान या इलाज के खर्च को कवर करते हैं। इससे पेट ओनर्स को उनके इलाज पर आने वाले खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं रह जाती है। ये प्रोडक्ट्स पेट की चोरी को भी कवर कर रहे हैं। यहां तक कि थर्ड पार्टी को होने वाले नुकसान को भी कवर करते हैं। इसका मतलब ऐसे मामलों से है, जिनमें आपके पेट की वजह से किसी बाहरी व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है।

एक पालतू पशु बीमा पॉलिसी आपके पालतू जानवर के बीमार पड़ने पर उसके स्वास्थ्य और उपचार की लागत को कवर करती है। जैसे जनरल इन्शुरेंस की हेल्थ पॉलिसी मनुष्यों के लिए काम करती है, वैसे ही पेट इन्शुरेंस किसी भी प्रकार के पेट की क्षति या चिकित्सा व्यय को भी कवर करती हैं। यह पालतू जानवरों के मालिकों को उनके इलाज की लागत के बारे में चिंता करने से मुक्त करता है। ये उत्पाद पालतू पशुओं की चोरी को भी कवर करते हैं। यह तीसरे पक्ष को होने वाले नुकसान को भी कवर करता है। यह उन मामलों को संदर्भित करता है जिनमें आपका पेट किसी बाहरी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है।

कितना आता है बीमा मे खर्च?

आपके पेट का बीमा कराने पर आने वाला खर्च आपके पेट की उम्र, साइज और ब्रीड पर निर्भर करता हैं। साथ ही आपके पेट(Pet) की सेहत और आप कितने रिस्क कवर का बीमा कराना चाहते हैं,

प्रीमियम अमाउंट पर पड़ता है। प्रीमियम लगभग  300 रुपये से शुरू होता है।

एक उदारहण के पर देखें तो यदि आप 25,000 रुपये के कवर वाली लंबे अवधि (long term) पॉलिसी खरीदते हैं तो आपका सालाना प्रीमियम (Yearly Premium) 1,284 रुपये आएगा। यह ऐसे डॉग के लिए जिसकी उम्र 7 साल से कम है। इस प्लान में epilepsy, pancreatitis, Cushing’s syndrome, diabetes, thyroid dysfunction, asides, glaucoma और inflammatory bowel disease शामिल हैं। अतिरिक्त 0.5 से 1 फीसदी प्रीमियम चुकाकर आप  पॉयजनिंग और ब्रीडिंग रिस्क को भी कवर कर सकते हैं।

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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