German Shepherd : एशिया यूरोप सहित पूरी दुनिया मे जर्मन शेपर्ड अपनी ताकत,बुद्धिमत्ता, प्रशिक्षण प्रेमी और आज्ञाकारिता के कारण जर्मन शेपर्ड दुनिया भर में रेस्क्यू,सर्चिंग,पुलिस और सैन्य भूमिकाओं में जर्मन शेपर्ड का उपयोग तो किया ही जाता है विश्व युद्ध के दौरान भी जर्मन शेपर्ड को ब्रिटिश द्वारा इस्तेमाल किया गया था।
भेड़िये जैसे दिखने वाला जर्मन शेफर्ड एक शक्तिशाली नश्ल का कुत्ता होता है,भेड़िये जैसे ही एक घने कोट से ढका हुआ बड़े आकार का कुत्ता है।जर्मन शेपर्ड डॉग के बाल दो परतों में होते हैं,इनकी ऊपरी बालों की परत सालभर झड़ती रहती है।और भीतरी परत काफी घनी होती है साथ ही यह स्किन के काफी करीब भी होती है। German Shepherd की ऊँचाई मेल में 60 से 65 सेंटीमीटर यानी लगभग 24 से 26 इंच और फीमेल की ऊँचाई 55 से 60 सेंटीमीटर यानी 22 से 24 इंच तक की होती है।
जर्मन शेपर्ड का माथा गुम्बददार,लंबा चौकोर कटा हुआ थूथन जिसमे मजबूत दमदार जबड़े और काली नाक होती है।आँखे मध्यम आकार की भूरी होती है।कान बड़े होते हैं और सीधे खड़े होते हैं और सामने और समानांतर खड़े होते है साथ ही German Shepherd की गर्दन लंबी होती है,पूछ झाड़ीदार होती है।
क्यों पड़ा जर्मन शेपर्ड नाम :
यह दुनिया के सर्वाधिक 10 खतरनाक कुत्तों में से एक है।जर्मन शेपर्ड एक कामगारी कुत्ता है।German Shepherd की समजदारी,ताकत और सूंघने की अच्छी क्षमता के कारण इसकी पहचान पुलिसिया कुत्ते के रूप में बन गई,कुत्तों की इस नस्ल का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि शेपर्ड यानि चरवाहों की मदद करने और भेड़ बकरियों की रक्षा करने के लिए विकसित किया गया था,उस दौरान जमर्नी में चरवाहों की मदद करने वाले कुत्तों को जर्मन शेपर्ड कुत्ता कहा जाता था।प्रथम विश्वयुद्ध के बाद माना जा रहा था कि जर्मन शब्द इस कुत्ते की नश्ल को नुकसान पहुँचा सकता है इसलिए इसे अल्सेशियन भेड़िया कुत्ता नाम दिया गया,इसके बाद कई दशकों तक इसके नाम से भेड़िया कुत्ता हटाकर इसे अल्सेशियन के नाम से जाना जाने लगा लेकिन डॉग लवर्स की अपील पर पुनः इसे German Shepherd के नाम से रजिस्टर्ड करवाया गया।
German Shepherd मालिक के 95 फीसदी आदेशों का करते हैं पालन :
जर्मन शेपर्ड नस्ल के कुत्तों में अन्य नस्ल के कुत्तों की अपेक्षा जल्दी से विभिन्न तरह के कार्यो और निर्देशों को समझ जाते हैं। “The Intelligence of Dogs” पुस्तक के राइटर Stanley Coren ने अपनी किताब में दावा किया है कि यदि कोई टास्क German Shepherd को 5 बार सिखाया जाए तो उस टाक्स को ये आसानी से सीख लेते है।और अपने मालिक के लगभग 95 फीसदी आदेशों का पालन भी करते है।