Google ने हाल ही में जीमेल के लिए वेरिफाइड ब्लूट चेकमार्क फीचर जारी किया है। इस फीचर को लाने का मकसद यूजर्स को ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों से बचाना था। यह सुविधा ब्लू टिक सत्यापित उपयोगकर्ताओं को वैध प्रेषकों के रूप में प्रस्तुत करती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन जालसाजों ने गूगल के इस सिक्यॉरिटी फीचर का फायदा उठाया है। साइबर अपराधी इन दिनों ब्लू टिक वेरिफाइड सेंडर्स के नाम से जाने जाने वाले लोगों को फर्जी मेल भेज रहे हैं।
क्या है नया सिस्टम?
Google ने इस फीचर को खासतौर पर कंपनियों, संस्थाओं यानी संस्थाओं के लिए Gmail के लिए पेश किया है, ताकि वे मैसेज आइडेंटिफिकेशन (BIMI) के लिए ब्रांड इंडिकेटर्स का इस्तेमाल कर सकें। साथ ही डोमेन बेस्ड ऑथेंटिकेशन, रिपोर्टिंग एंड कंप्लायंस (DMARC) का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये भी पढ़ें- Google ने खत्म की बड़ी टेंशन! फर्जी ई-मेल ब्लू टिक से पकड़े जाएंगे
गूगल का यह सिस्टम भेजे गए किसी भी बल्क मैसेज को चेक करता है और उसे पाने वाले को फॉरवर्ड कर देता है। हालांकि, कंपनी को इसके लिए गूगल के नियमों का पालन करना होगा, जिसके बाद उन्हें ब्लू टिक वेरिफिकेशन स्टेटस मिल जाएगा। संदेश प्राप्त करने वाले को मेल के साथ कंपनी या संस्था का लोगो भी प्राप्त होता है।
सिक्योरिटी सिस्टम में लगा रहे सेंध
हालांकि, कई साइबर अपराधी गूगल के इस सिस्टम का फायदा उठा रहे हैं। साइबर विशेषज्ञ क्रिस प्लमर ने साइबर ठगों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली का पता लगाया है। विशेषज्ञ ने ट्वीट किया कि स्कैमर्स ने इसमें लूप-होल ढूंढ लिया है और यूजर्स को निशाना बना रहे हैं। वैध ईमेल और साइबर बदमाश के ईमेल के बीच अंतर बताना उपयोगकर्ताओं के लिए बहुत मुश्किल हो सकता है।
एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने गूगल के सिस्टम में यह खामी बताई है। हालांकि, गूगल ने इसे ठीक नहीं किया है, जिस पर विशेषज्ञों ने ट्विटर हैंडल पर अपना गुस्सा जाहिर किया है और गूगल के आलस्य का भी जिक्र किया है।