मध्यप्रदेश के एक शख्स को कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का पोस्टर दिखाने पर सऊदी अरब की पुलिस ने जेल में डाल दिया। उसे 8 महीने तक बंद रखा और खाने में सुबह-शाम सिर्फ दो-दो ब्रेड दीं। रात-रातभर सोने नहीं दिया गया। परिजन का आरोप है कि इंडियन एम्बेसी ने भी उसकी मदद नहीं की। परिवार की तमाम कोशिशों के बाद आखिरकार 4 अक्टूबर को उसकी वतन वापसी हो सकी।
भारत जोड़ो यात्रा के पोस्टर का पोस्टर बन गया जी का जंजाल
यातना की यह कहानी निवाड़ी जिले के युवा कांग्रेस अध्यक्ष रजा कादरी (27) की है। रजा 21 जनवरी को अपनी दादी शहीदा बेगम के साथ हज पर गए थे। रजा ने 25 जनवरी को मक्का के हरम मस्जिद से भारत जोड़ो यात्रा के पोस्टर के साथ एक तस्वीर क्लिक कराई थी। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।राजा ने News 24 से बातचीत में बताया कि भारत की एक पॉलिटकल पार्टी के IT सेल ने उनके खिलाफ सऊदी की इंटेलिजेंस एजेंसी को कई मेल किए, जिसके बाद वहां की पुलिस उन्हें पॉलिटिकल एजेंट के तौर पर देखने लगी थी। बातचीत में रजा ने कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
दादी की इच्छा पूरी करने हज पर साथ गए थे
रजा कादरी बताते हैं- दादी शहीदा बेगम की उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। वो आखिरी बार साल 2002 में हज की यात्रा पर गई थीं। अक्सर कहती थीं कि मेरी उम्र हो गई है, न जाने कब अल्लाह के पास चली जाऊं। जाने से पहले इच्छा है कि एक बार हज कर आऊं। दादी की इच्छा पूरी करने के लिए मैंने उनके साथ हज पर जाने का फैसला किया।
72 लोगो के ग्रुप गया था उमराह करने
झांसी के अल अंसार टूर एंड ट्रैवल्स से दो लाख रुपए में टूर पैकेज बुक हुआ। इसमें सऊदी में रहने से खाने तक की व्यवस्था ट्रैवल्स की थी। हम 21 जनवरी को भारत से रवाना हुए और अगले दिन 22 जनवरी को मक्का सिटी पहुंचे। हमारे ग्रुप में 72 लोग थे। हम यहां अल ओलायन रॉयल होटल में रुके। ये होटल मस्जिद से एक किमी की दूरी पर है। 23 से 25 जनवरी के बीच मैं तीन बार उमराह (इबादत) कर आया था। दादी भी बेहद खुश थीं।
इंटरव्यू लेने का बहाना करके होटल में आए पुलिसवाल
रजा ने कहा- हम 10 फरवरी तक भारत वापस आने वाले थे। 25 जनवरी को उमराह के दौरान मेरे और ग्रुप के सभी लोगों ने मस्जिद के अंदर तस्वीरें क्लिक कराईं। मैंने भी दो तस्वीरें क्लिक कराई थीं। पहली तिरंगे के साथ और दूसरी फोटो कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा के पोस्टर के साथ। इस दिन तक सब कुछ ठीक था। 26 जनवरी को मैंने ये तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर दीं। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने इसे शेयर किया।
वीजा कंपनी का एजेंट बनकर आई पुलिस
मैं 26 जनवरी की रात करीब 2 बजे होटल में अपने कमरे में पहुंचा। सोने ही जा रहा था कि डोर बेल बजी। बाहर एक आदमी खड़ा था। इस आदमी ने मुझसे कहा कि वो वीजा कंपनी की ओर से आया है और ट्रिप के संबंध में मेरा इंटरव्यू लेना चाहता है। मैंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये कोई इंटरव्यू देने का समय नहीं है? आपको मेरा रूम नंबर किसने बताया?
लगा सऊदी अरब के नियम तोड़ने का आरोप
सामने खड़ा व्यक्ति जवाब देता है- आपका नाम आपके ग्रुप लीडर कासिफ भाई ने बताया है। वो नीचे ही खड़े हैं। इसके बाद मैं उस व्यक्ति के साथ जाने को राजी हो गया। हम दोनों लिफ्ट से नीचे जाने लगे। ग्राउंड फ्लोर पर जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा खुला, कुछ लोगों ने मेरे मुंह पर काला कपड़ा डाल दिया और हथकड़ी डालकर होटल से ले गए। जब मुंह से कपड़ा हटा तो मैं देखता हूं कि पुलिस की वर्दी में सात से आठ लोग मुझे घेरे हुए थे। मुझे बताया गया कि मैंने सऊदी अरब के नियम तोड़े हैं, इसलिए मुझे गिरफ्तार किया गया है।
दो महीने तक अंधेरे कमरे में रख पूछताछ करते रहे –
इसके बाद रजा ने तिरंगे और भारत जोड़ो यात्रा के संबंध में सारी बातें स्पष्ट कीं। उन्होंने ये स्वीकार किया कि नियमों की जानकारी के अभाव में उनसे भूल हुई है। वो सोशल मीडिया से फोटो हटाने को तैयार हैं। पुलिस ने रजा से कहा कि वीजा कंपनी की ओर एक एनओसी लेटर, अपना वीजा और पासपोर्ट पेश करिए। वेरिफिकेशन के बाद आपको छोड़ दिया जाएगा। रजा ने ट्रैवलिंग एजेंट से बात की लेकिन उनका ट्रैवलिंग एजेंट नहीं आया। उन्हें पता चलता है कि एजेंट ने ही उनका प्रोफाइल, डाटा और होटल की जानकारी पुलिस को दी थी। इसके बदले में पुलिस की ओर से उसे 15 हजार रियाल (लगभग तीन लाख रुपए) का इनाम दिया गया था।
भारत से भेजे गए वीडियो
इस बीच अचानक सऊदी पुलिस के पास उनके कुछ वीडियो पहुंचे। ये वो वीडियो थे, जिसमें रजा पॉलिटिकल रैली में नजर आ रहे थे। रजा से पुलिसवालों ने कहा- वो एक पॉलिटिकल एजेंट हैं। उन्होंने इससे इनकार किया। रजा ने हमें बताया- किसी पॉलिटिकल पार्टी के मेल से ये सारे वीडियोज सऊदी अरब की इंटेलिजेंस एजेंसी को भेजे गए थे। वीडियो मिलने के बाद पुलिस मेरे साथ कड़ाई से पेश आने लगी थी। इस सब में दो दिन बीत गए थे। इसके बाद पुलिस ने मुझे जेल में डाल दिया।
दो माह तक रखा गया अँधेरे कमरे में
रजा कहते हैं- मुझे सबसे पहले ढाहबान की सेंट्रल जेल ले जाया गया। यहां दो महीने तक मैं एक अंधेरे कमरे में बंद रहा। खाने के नाम पर सुबह-शाम जेल का कोई एक बंदा दो ब्रेड के टुकड़े मेरे लिए छोड़ जाता था। कुछ दिन बाद वहां का जेलर मेरे पास आया। उसने घरवालों से मेरी बात कराई। निर्देश दिया कि घरवालों से बस इतना ही कहना कि जेल में हूं, ठीक हूं, अच्छा खा-पी रहा हूं। इस जेल में मैं छह महीने रहा। दो महीने तक केवल मुझसे पूछताछ चली। मुझे रात-रात भर एक कमरे में बैठाया जाता था।
2 माह तक रखा गया अँधेरे में
पुलिस लाई डिटेक्टर मशीन से मेरे हर जवाब को वेरिफाई करती थी। टेस्ट से पहले मुझे एक केमिकल पिलाया जाता था। इससे मुझे नींद आती, लेकिन वो सोने नहीं देते थे। मुंह पर पानी फेंककर जगाए रखते थे। उन्होंने मेंटली तौर पर बहुत टॉर्चर किया। दो महीने तक मैंने न तो सूरज देखा, न ही किसी का चेहरा। मेरा मेंटल स्टेटस इतना बिगड़ गया कि मुझे साइकियाट्रिस्ट के पास ले जाना पड़ा। किस्मत से वो भारतीय निकले। उन्होंने जेलर को सुझाव दिया कि वो मुझे सामान्य सेल में डाल दें। इसके दो दिन बाद मुझे नॉर्मल सेल में शिफ्ट किया गया।
जहां भेजा वो जगह नरक है, शुक्र है मैं वतन लौट आया
ढाहबान में मुझे छह महीने रखा गया। इसके बाद शुमैसी डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया। यहां भारतीयों को सबसे गंदी और बुरी हालत में रखा जाता है। उनके कंबलों में कीड़े घुसे थे। खाने की जगह पर गंदगी थी। यहां आकर ऐसा लगा कि जहन्नम (नरक) ऐसा ही होता होगा। इसी बीच एक एजेंट मुझसे मिलने आया। भारत से उसे मेरे परिवारवालों और कांग्रेस पार्टी ने मुझे छुड़ाने के लिए अप्रोच किया था। उसने मुझे विश्वास दिलाया कि वो मुझे वो छुड़ा लेगा।
एजेंट की मदद से निकल पाया जेल से
मामले की तहकीकात में सऊदी पुलिस को रजा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे। जो वीडियो इंटेलिजेंस को भेजे गए, पुलिस ने उनकी जांच की। साबित हो गया कि उनसे सऊदी अरब को कोई खतरा नहीं था। एजेंट ने मदद की तो कागजी काम में तेजी आई, इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। फाइनली आठ महीने बाद रजा को आजादी मिली। सऊदी पुलिस 3 अक्टूबर को रजा को एयरपोर्ट तक छोड़ने आई।
सऊदी में घूस लिए बिना कोई काम नहीं होता
रजा ने बताया कि मुझे वापस लाने में घरवालों के 28 लाख रुपए खर्च हो गए। इसमें बहुत से पैसे तो फ्रॉड में चले गए। मुझे छुड़ाने के नाम कई लोग घरवालों से पैसे ऐंठ चुके थे। सऊदी में हमारी इंडियन एम्बेसी टोटली डेड है। जब मैं जेल से छूटा तब मेरे पास मेरा पासपोर्ट नहीं था। मैंने एम्बेसी से मदद मांगी तो उन्होंने मुझसे पैसे लिए। एम्बेसी के तनवीर आलम ने मुझसे पासपोर्ट के काम के लिए 1200 रियाल (लगभग 26 हजार रुपए) लिए। वहां मेरी तरह हजारों भारतीय फंसे हुए हैं। उनकी हालत मेरे से भी बुरी है। इनमें से बहुत सारे लोगों को उनके ही एजेंटों ने ठगा है। एम्बेसी के लोग उन्हें निकलवाने के लिए पैसों की डिमांड करते हैं। जो पैसा दे पाते हैं, उन्हें निकाल लिया जाता है। जो नहीं दे पाते, वो फंसे ही रहते हैं।