नही रहे आचार्य विद्यासागर महाराज जानिए कौन होगा अगला आचार्य
Jain saint aacharya vidhyasagar samadhi : देशभर सहित पूरे जैन समाज के लिए बड़ी दुखद खबर है। जैन समाज की रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा के अनुसार छत्तीसगढ़ की डोंगरगढ़ में समाधि पूर्वक मरण हो गया है। अन्न जल का परित्याग आचार्य विद्यासागर ने बीते दिन पहले ही करके समाधि मरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। और अखंड मौन का व्रत ले लिया था।
अपने माता-पिता की भांति ही जैन समाज के आचार्य विद्यासागर ने त्याग दी है और दिगंबर मुनि परंपरा के अनुसार समाधि ले ली है। बता दे कि आज रात 2:35 पर उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया है। आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य आचार्य विद्यासागर ने महेश 26 वर्ष की उम्र में ही 22 नवंबर 1972 को आचार्य हो गए थे जब आचार्य ज्ञान सागर ने समाधि ली थी तो उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौपा था।
जानिए कौन है अगले आचार्य
गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए ठीक इसी तरीके से आचार्य विद्यासागर महाराज ने भी समाधि लेने के पूर्व तीन दिन पहले ही आचार्य पद से त्याग करके उन्होंने अपने शिष्य मुनि निर्यापक श्रवण मुनी श्री समय सागर को आचार्य पद का दायित्व सौंपा है। बताया जा रहा है कि आचार्य विद्यासागर ने मुनि समय सागर और मनी योग सागर को एकांत में बुलाकर जिम्मेदारियां सौंप दी हैं।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में ब्रह्मांड के देवता के रूप में है सम्मानित
आचार्य विद्यासागर को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में ब्रह्मांड की तीव्रता के रूप में सम्मानित किया गया है। यह सम्मान आचार्य विद्यासागर को 11 फरवरी को मिला था। आचार्य विद्यासागर ने अपने जीवन काल में 500 से ज्यादा दीक्षाएं दी हैं। आचार्य विद्यासागर की बहने स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्टूबर को कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा मेजर में आचार्य विद्यासागर तीन भाई और दो बहने हैं। जिनमें से दो भाई मनी हैं और भाई महावीर प्रसाद भी धर्म कार्य में लगे हुए हैं।
छोटे बाबा के नाम से जाने जाते थे आचार्य विद्यासागर
आचार्य विद्यासागर के माता-पिता ने भी उनसे ही दीक्षा लेकर समाधि की मरण प्रताप की थी आचार्य विद्यासागर के माता का नाम श्रीमती और पिता का नाम मल्लप्पा था। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित कुंडल बाबा में बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की मूर्ति को आचार्य विद्यासागर ने रखवाया था और कुंडलपुर में अक्षरधाम की तर्ज पर भाग्य मंत्री का निर्माण भी कराया था पूरे बुंदेलखंड में आचार्य विद्यासागर महाराज छोटे बाबा के नाम से जाने जाते हैं।
पीएम मोदी पहुंचे थे दर्शन करने
छत्तीसगढ़ में नवंबर में विधानसभा चुनाव होना था पीएम मोदी छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे थे इस दौरान उन्होंने आचार्य विद्यासागर के दर्शन भी किए थे और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। आचार्य विद्यासागर ने गरीबों से लेकर जेल के कैदियों तक के लिए काम किया। आचार्य विद्यासागर हमेशा हिंदी राष्ट्र और हिंदी भाषा को बढ़ाने के लिए अग्रसर रहे हैं साथ उन्होंने हमेशा कहा है कि इंडिया नहीं भारत बोलो।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा
राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का स्माधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला
आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था। उनका आशीर्वाद असीम शांति और अनंत ऊर्जा प्रदान करता था। उनका जीवन त्याग और प्रेम का उदाहरण है आचार्य श्री जीते जागते परमात्मा थे। उनका भौतिक शरीर हमारे बीच ना हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी।
आचार्य श्री शीघ्र ही परमपद सिद्धत्व को प्राप्त हों। गुरुवर के चरणों में शत शत नमन नमोस्तु भगवन!
राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का स्माधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला
आचार्य श्री के सामने… pic.twitter.com/ihOqUboyep
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 18, 2024
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्ग्विजय सिंह ने लिखा
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की रात्रि 2:35 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि हो गई है। वे ईश्वर रूपी संत थे। शिक्षा व हाथ करघा पर बना कपड़ा पहनने का उनका संदेश हमें #महात्मा_गांधी का संदेश याद दिलाता है। संदेश –
डोला दोपहर 1 बजे चंद्रगिरी में निकलेगा।* चन्द्रगिरी छेत्र कमेटी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़।
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की रात्रि 2:35 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि हो गई है। वे ईश्वर रूपी संत थे। शिक्षा व हाथ करघा पर बना कपड़ा पहनने का उनका संदेश हमें #महात्मा_गांधी का संदेश याद दिलाता है।
संदेश –
डोला दोपहर 1 बजे चंद्रगिरी में निकलेगा।*…— digvijaya singh (@digvijaya_28) February 18, 2024