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जहां भी भगदड़ मचेगी, गरीब ही मरेगा! कोई भी अफरातफरी होगी आम आदमी ही मरेगा!

खबरीलाल Desk

जहां भी भगदड़ मचेगी, गरीब ही मरेगा! कोई भी अफरातफरी होगी आम आदमी ही मरेगा!
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ये हाईटेक व्यवस्थाएं, ये तामझाम, ये सुविधाएं ये हम जैसे आम आदमियों या यूं कहूं पशु श्रेणी (केटल क्लास) के लिए नहीं हैं। केटल क्लास इस शब्द का प्रयोग एक राजनेता ने किया था।

बाकी एक से एक मठाधीश तेल, साबुन, कंघा शीशा लिए खड़े हैं वीवीआईपियों को स्नान कराने के लिए, ये अमृत कुंभ उन्हीं के लिए हैं, और सुविधाओं का अमृत होगा तो असुविधाओं का जहर भी होगा! वह भी तो किसी को पीना पड़ेगा, शिव तो आएंगे नहीं तो शव तो बनना होगा किसी न किसी को! वो जहर है आम आदमी के लिए क्योंकि हम बने ही इसी के लिए हैं!

भगवान कण कण में हैं! सालों से सुन रहे हो लेकिन समझ नहीं पा रहे हो!

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भागीरथी प्रयास से ही गंगा अवतरित हुईं थी तो अपना कर्म छोड़कर पड़े हो इसकी उसकी चौखट पर,  भाग्योदय की प्रतीक्षा में लगे हो इसका इसका उसका झंडा बुलंद करने!

“कर्म प्रधान विश्व कर राखा” ये जीवन का मूलमंत्र हमारी बुद्धि में क्यों नहीं बैठता?

“सकल पदारथ हैं जग माहीं, कर्महीन नर पावत नाहीं” तो कर्महीनता के अभिशाप से मुक्त क्यों नहीं होते?

रही बात धर्म, श्रद्धा और आस्था की तो 

शबरी सी प्रतीक्षा होगी तो प्रभु राम घर आ जाएंगे!

अहिल्या सा धैर्य होगा तो प्रभु स्वयं आयेंगे!

निषादराज सी निश्छलता होगी तो प्रभु स्वयं आ जाएंगे!

प्रह्लाद सी निश्चिंतता होगी तो प्रभु स्वयं आयेंगे!

द्रोपदी सा विश्वास होगा तो वह स्वयं आयेंगे!

“हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम तें प्रगट होय मैं जाना”

तुम्हें उनके पास कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं, तुम जहां उनको प्रेम और विश्वास से पुकारोगे प्रभु वहीं आ जाएंगे!

और एक बात और सुन लो ये लोग हमारी जाति के नाम पर आयेंगे, हमारे धर्म के नाम पर आयेंगे, हमें बरगलायेंगे, सब्जबाग दिखाएंगे, हमारे हाथ में हथियार, डंडा, झंडा पकड़ा देंगे या हमारे हाथ में मजीरे, कलश पकड़ा देंगे। हमारी भींड की दम पर, शोषित–दलित और पीड़ित की बात करके सम्मान और अधिकार की बात करके, बराबरी की बात करके, अपनी राजनीति चमका के, अपनी दुकान सजाकर निकल जायेंगे!

हम वहीं खड़े रहेंगे, भींड में धक्का खाने के लिए, लाइन में लगने के लिए, रैलियों के लिए, जुलूसों के लिए, मरने खपने के लिए!

हमारा भींडतंत्र ही इनकी ताकत है, जिस दिन हमने इनकी असलियत पहचान कर इनके पीछे खड़ा होना बंद कर दिया, असल मुद्दों पर वोट करना शुरू कर दिया यकीन मानिए फिर न कोई वीवीआईपी घाट होगा, न वीवीआईपी व्यवस्था होगी! तुम्हारी अहमियत तभी होगी जब तुम्हें अपनी अहमियत समझ आयेगी। बाकी जब तक हम तुम नीले, पीले, हरे, और भगवे रंग में बटते रहेंगे, यकीन मानिए कटते रहेंगे, कुचले जाते रहेंगे।

(यह पोस्ट नवीन पुरोहित जी की फेसबुक पोस्ट से कॉपी की हुई है)

खबरीलाल Desk

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