राजनीति

MP Election VidhanSabha 2023 : UP बिहार की तर्ज पर MP के उमरिया में जेल से चुनाव लड़ने की तैयारी में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी

MP Election VidhanSabha 2023 : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है।लेकिन इस बार यूपी बिहार की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी जेल में रहकर विधानसभा चुनाव लड़ने की खबर मध्यप्रदेश के उमरिया जिले से आ रही हैं.जेल में रहकर चुनाव लड़ने की प्रथा यूपी बिहार में देखने को मिलती है जहाँ कई बाहुबलियों ने जेल में रहकर न सिर्फ चुनाव लड़ा बल्कि अपने रसूख के दमकर चुनाव जीत कर तत्कालीन सरकार में मंत्री भी बने।जेल में रहकर चुनाव लड़ने की अगर बात करें तो गोरखपुर के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी ने वर्ष 1985 में जेल में रहकर चुनाव लड़ा था और जीत भी दर्ज की थी।उत्तरप्रदेश की कुंडा विधानसभा सीट से वर्ष 2002 में राजा भईया ने चुनाव जेल में रहकर लड़ा और जीत हासिल की। साल 2003 में जब सपा नेता मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने तो राजा भईया को मंत्री पद से भी नवाजा। वही यूपी में पूर्वांचल क्षेत्र के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी ने वर्ष 2017 में मऊ सदर सीट से BSP पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़कर जीत भी हासिल की थी। वही दिवंगत नेता अखिलेश सिंह ने भी जेल में रहकर चुनाव लड़ा था और विजयश्री भी हासिल की थी।

एमपी में जेल से किशोर समरीते ने 2007 में लड़ा था चुनाव

किशोर समरीते 2007 के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। यह सीट पूर्व मंत्री दिलीप भटेरे के निधन के बाद खाली हुई थी. किशोर समरीते ने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उस समय समरित एक चावड़ी (पशु बिक्री केंद्र का कार्यालय) जलाने के आरोप में जेल में था।

मध्यप्रदेश की तस्वीर अलग

लेकिन जब आप देश के दिल मध्यप्रदेश पहुँचते है तो मध्यप्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों की जगह जनाधार के आधार ओर चुनाव जीतने का ट्रेंड है। लेकिन अब मामले में एक नया मोड़ सामने आ रहा है.गोगपा के प्रदेशाध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते ने मीडिया में एक बयान जारी किया है कि अब हम गोगपा के प्रदेश प्रवक्ता राधेश्याम ककोडिया के लिए हम सब यह प्रयास नही करेंगे वो सलाखों के बाहर आएं पार्टी चाहती है की राधेश्याम ककोडिया अब जेल से ही चुनाव लड़ें,गोगपा के प्रदेशाध्यक्ष का दावा है की उमरिया की जनता राधेश्याम ककोडिया के साथ है. यही नही सामान्य और पिछड़े वर्ग का भी साथ मिल रहा है. और वो चुनाव जीतकर आएगें.

यूपी,बिहार और महाराष्ट्र जैसे साउथ में भी कई ऐसे राज्य हैं जहाँ क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा है. लेकिन कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर मध्यप्रदेश में देखी जा रही है.यहाँ क्षेत्रीय दलों का अस्तिव न के बराबर है. लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी महाकौशल और विन्ध्य क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कर करने की जुगत में लगी हुई है.

क्या हैं बयानबाजी की असल वजह

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में 26 सितम्बर को गोगपा और पुलिस के बीच हुई झड़प की ख़बरों ने राष्ट्रिय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरी, पुलिस के 15 से अधिक अधिकारी कर्मचारी घायल हुए थे. गोगपा की रैली का नेतृत्व कर रहे राधेश्याम ककोडिया सहित 3 दर्जन से अधिक आरोपियों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया था. इस मामले में गोगपा ने पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाया लेकिन तस्वीरें जो वायरल हुई वह कुछ और ही बयां कर रही थी. कुल मिलाकर कानून को हाथ में लेना गोगपा कार्यकर्ताओ के लिए भारी पड़ गया.

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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