मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में वोटिंग को एक महीने से कम दिन बचे हैं, लेकिन अभी तक कांग्रेस और भाजपा ने अपने सभी उम्मीदवारों के नाम फाइनल नही किए हैं। वरिष्ठ नेता पिछले दो दिन से दिल्ली में इस पर मंथन कर रहे हैं।भाजपा के 94 और कांग्रेस के 86 प्रत्याशियों के नाम तय होना अभी बाकी हैं। उमरिया जिले के बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी अभी लगातार संशय की स्थिति बनी हुई है टिकट किसकी फाइनल होगी यह तो फाइनल सूची आने के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन आधा दर्जन नाम की चर्चा से बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति काफी गर्म आई हुई है।कयास लगाए जा रहे है की आज भाजपा की पांचवी सूची आ सकती है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा की 5वीं सूची 21 अक्टूबर को आ सकती है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर के विधानसभा के टिकट की दावेदारी करने वालों को तो अपनी टिकट की पड़ी हुई है लेकिन उम्मीदवारों की घोषणा के साथ-साथ किंग मेकर की स्थिति में रहने वाले प्रदेश के कुछ नेता अपने खेमे के दावेदारों को विधानसभा की टिकट देकर मतगणना के बाद अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की जुगत लगे हुए हैं।
चौथी सूची तक जिन नाम के जिन नाम पर फाइनल मुहर लगी है उसको तो देखकर ऐसा ही लग रहा है कि शिवराज मंत्रिमंडल की काफी मंत्री, विधायक पुनः मैदान पर दावेदार बनकर खड़े हो चुके हैं।प्रदेश में इस बात की चर्चा काफी जोरों पर है कि आगामी मुख्यमंत्री का पद शिवराज सिंह चौहान के पास न रहकर किसी नए चेहरे को मौका दिया जाएगा लेकिन लाडली बहाना योजना जैसी जमीनी योजनाओं को धरातल पर उतरने वाले शिवराज सिंह चौहान क्या ऐसे ही शांत बैठ जाएंगे कह पाना बड़ा मुश्किल होगा।
2018 के विधानसभा चुनाव में सियासी मत खाने के बाद जिस तरीके से शिवराज सिंह चौहान ने हुंकार भरी थी और कहा था की चिंता मत करो टाइगर जिंदा है और बीजेपी ने बीच में ही कांग्रेस सरकार को बाहर का रास्ता दिखाकर सत्ता पर अपना कब्जा जमा लिया था।अब जब 2023 का सियासी संग्राम सर पर है ऐसे में भाजपा के अंदर खेमे के साथ-साथ कांग्रेस भी इस बात को काफी मुखर होकर रख रही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अब आने वाले समय में यदि भाजपा चुनाव जीती है तो उन्हें सीएम का चेहरा नहीं बनाया जाएगा।लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल की कई मंत्रियों और साथी विधायकों को टिकट देकर के अपना रास्ता मजबूत कर लिया है।
कुसुम सिंह
पिछली पंचवर्षीय में करकेली जनपद पंचायत की अध्यक्ष के रूप में काम कर चुकी वर्तमान भाजपा महिला मोर्चा नेत्री कुसुम सिंह की दावेदारी भी किसी मायने में काम नहीं आगे जा रही है अगर बात पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो कहा जाता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा नेत्री कुसुम सिंह को टिकट मिलते मिलते रह गई थी। इस बार कुसुम सिंह प्रदेश की सियासी दांवपेंच के बीच अपना परचम लहरा पाएंगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
ज्ञानवती सिंह
बात अगर प्रदेश कार्यसमिति सदस्य ज्ञानवती सिंह की जाए तो ज्ञानवती सिंह की दावेदारी भी किसी मायने में कमतर नहीं है। महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आई ज्ञानवती सिंह की भी लॉबिंग बड़े-बड़े का कद्दावरनेता अंदर खाने में कर रहे हैं। अगर महाराज की चली तो ज्ञानवती सिंह को बांधवगढ़ से टिकट मिलने की पूरी सम्भावना है.यही कारण है कि बांधवगढ़ विधानसभा सीट लगातार भाजपा के कब्जे में रहने के बाद भी भाजपा ने अभी तक इस सीट में अपने उम्मीदवार का नाम का खुलासा नहीं किया है।
ज्ञान सिंह
शिवराज सिंह चौहान के साथ कई बार विधानसभा पहूँच चुके पूर्व जनजातीय मंत्री ज्ञान सिंह का नाम भी बड़ी तेजी से सामने आया है,अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चली तो ज्ञान सिंह का नाम लगभग तय माना जा सकता है. पूर्व मंत्री ज्ञान सिंह सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी नेताओ की सूची में सुमार हैं.
अर्जुन और कैलास सिंह
बात अगर युवा नेताओं की कही जाए तो कैलाश सिंह और अर्जुन सिंह भी एड़ी चोटी की ताकत लगा कर बांधवगढ़ विधानसभा का उम्मीदवारी अपने नाम करना चाहते हैं। इन दोनों युवा नेताओं ने भी अपना सियासी समीकरण बिठाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
शिवनारायण सिंह
इन सबके साथ-साथ वर्तमान विधायक शिवनारायण सिंह भी लगातार दो बार बांधवगढ़ विधानसभा सीट से अपना दमखम दिखा चुके हैं। लेकिन वर्तमान में कार्यकर्ताओं के असंतोष का सामना कर रहे हैं।हो सकता है पार्टी इन्हें तीसरी बार मौका दें दें।
अब देखना होगा की बांधवगढ़ विधानसभा में भाजपा किसी नए चेहरे पर विश्वास जताएगी या ओल्ड और बोल्ड चेहरा भाजपा का बांधवगढ़ में उम्मीदवार होगा.