राजनीति

Deepak Joshi क्या बुधनी विधानसभा से हरा पाएँगे Shivraj Singh Chauhan को पढ़िए कब कब घेरे गए शिवराज

20 सालों से भाजपा का गढ़ बना बुधनी विधानसभा क्षेत्र में पढ़िए कब कब शिवराज सिंह चौहान को घेरने की कोशिस की गई और किन किन दिग्गजों को शिवराज सिंह ने कड़ी शिकस्त दी

शिवराज सिंह चौहान वैसे तो चुनावी राजनीति के रण में अजेय योद्धा कहे जाते है आपको तो पता ही हैकि,रहे हैं शिवराज सिंह चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा से ही विधायक बने थे,उसके बाद  1991 में ही उनको पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की खाली सीट विदिशा से लोकसभा जाने का मौका शिवराज सिंह को मिला,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा लोकसभा सीट से लगातार पांच बार सांसद भी रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने कांग्रेस का दामन थामते ही मुखर हो गए और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया लेकिन क्या आपको पता है कि बुधनी विधानसभा के परिसीमन के बाद कब कब किस दल का विधायक जीता और शिवराज सिंह चौहान कितने वर्षों से बुधनी विधानसभा में काबिज है ? और इसके पहले कब कब शिवराज को उनकी ही विधानसभा में घेरने का प्रयास किया गया

यह कोई पहला मौका नही है जब किसी तत्कालीन मुख्यमंत्री को घेरने के लिए विपक्षी दल ने अपने किसी बड़े नेता को न उतारा हो इसके पहले 2003 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राघौगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़कर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कड़ी टक्कर दी थी हलाकि शिवराज सिंह चौहान इस चुनाव में सफल नही हो पाए थे, शिवराज सिंह इस चुनाव में 21,164 वोटों से हार गए। उन्हें 37069 वोट मिले थे। दिग्विजय सिंह को 58233 वोट मिले थे।

2006 के बुधनी उपचुनाव में घर और बाहर सबने घेरा था शिवराज को

2003 में बुधनी विधानसभा की सीट में भाजपा के राजेन्द्र सिंह ने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी लेकिन शिवराज सिंह चौहान नवंबर, 2005 में जबा पहली बार मुख्यमंत्री बने, तब वे लोकसभा के सदस्य थे। मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर उन्हें विधायक चुना जाना अनिवार्य था। सांसद बनने से पहले वे 1990 में बुधनी से विधायक रह चुके थे। वे फिर इस उपचुनाव में बुधनी से ही चुनाव लड़ना चाहते थे। उस समय राजेंद्र सिंह बुधनी से विधायक थे। बुधनी विधायक राजेंद्र सिंह को मनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान को नाको चने चबाने पड़ गए थे,लेकिन मुश्किले यहाँ कहा खत्म होने वाली थी, कांग्रेस के द्वारा आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान अपने मुख्यमंत्री पद का दुरूपयोग कर जिला प्रशासन के माध्यम से वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उस समय एसके मिश्रा सीहोर के कलेक्टर और आईपी कुलश्रेष्ठ एसपी थे. चुनाव आयोग ने दोनों को पद से हटा दिया. इसके साथ ही कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने बुधनी में मतदान की तारीख कुछ  दिन आगे बढ़ा दी थी.

उपचुनाव में कांग्रेस ने भी बुधनी विधानसभा में अपनी पूरी ताकत झोक दी थी कांग्रेस के एक बड़े तबके का मन था की दिग्ग्विजय सिंह को शिवराज सिंह चौहान के सामने कांग्रेस से टिकट देनी चाहिए वही अंदरखाने से स्थानीय उम्मीदवॉर को उतारे जाने की बात सामने आ रही थी अन्तत दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जाने वाले 1993 में कांग्रेस की टिकिट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले राजकुमार पटेल को उमीदवार बनाया गया.

लेकिन इतने में मुश्किलें कहा ख़त्म होने वाली थी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी अन्दर ही अन्दर शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था,कहा तो यह भी जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी गुलजार सिंह मरकाम को समर्थन दिया और कांग्रेस के उम्मीदवार राजकुमार पटेल से गुप्त मुलाकात कर अपना समर्थन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी गुलजार सिंह मरकाम को देने को कहा.लेकिन बुधनी विधानसभा की जनता यह समझ चुकी थी की वह शिवराज सिंह चौहान के रूप में विधायक नही बल्कि मुख्यमंत्री चुन रही है.पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती और कांग्रेस के जबरजस्त विरोध के वावजूद शिवराज सिंह चौहान ने 2006 का बुधनी विधानसभा का उपचुनाव जीत लिया था.

2008 का विधानसभा चुनाव और शिवराज

मुख्यमंत्री बनने के मात्र दो साल बाद ही शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव में उतरना पड़ा लेकिन इन दो सालों में शिवराज सिंह चौहान की जड़े बुधनी विधानसभा और और भी मजबूत हो चुकी थी.2008 के विधानसभा चुनाव में भी बुधनी से शिवराज सिंह चौहान विजयी हुए थे। इस बार उन्होंने कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को हराया था। शिवराज सिंह चौहान को इस विधानसभा चुनाव में 75,828 मत मिले। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी महेश सिंह राजपूत को 34,303 वोट मिले थे। शिवराज सिंह चौहान ने इस चुनाव में 40 हजार से ज्यादा वोटों से जीत को अपने नाम किया था.

2013 का विधानसभा चुनाव और शिवराज

मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2013 विधानसभा चुनाव के लिए दो-दो सीटों से पर्चा दाख़िल किया है,हालाँकि दो सीटों से चुनाव लड़ने का कारण हार के डर से नहीं बल्कि दूसरी सीट पर मचे दावेदारों का बवाल ठंडा करने के लिए बताया गया लेकिन 2006 के बुधनी विधानसभा उपचुनाव में अपनों और परायों के द्वारा बनाई गई घेराबंदी को देखते हुए यह दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने का प्लान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनाया था ऐसा राजनैतिक पंडितो का कहना है लेकिन अपनी बढती लोकप्रियता के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी विधानसभा सीट और विदिशा विधानसभा सीट पर क्रमश  84805 मतों के अंतर से कांग्रेस के डॉ महेंद्र सिंह चौहान और 16966 मतों के अंतर से कांग्रेस के शशांक भार्गव को हराकर दोनों सीट कर फतह हासिल की थी.

2018 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को मिली थी शिवराज के हाथों शिकस्त

कांग्रेस ने भाजपा के सबसे बड़े चेहरे और मुख्यमंत्री के रूप में काबिज शिवराज सिंह चौहान की उनके ही गढ़ में घेरने की रणनीति के तहत कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को बुधनी सीट से उम्मीदवार बनाया, अरुण यादव राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे सुभाष यादव के बड़े बेटे हैं. वैसे तो 2018 तक अरुण यादव कभी विधानसभा के सदस्य नहीं रहे, लेकिन दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके थे और यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके थे लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट फिर से शिवराज सिघ चौहान के नाम हो गई भले ही प्रदेश में कांग्रेस ने सरकार बना ली लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी विधानसभा का किला अपने नाम ही रखा इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 64493 वोट और सीएम शिवराज को 123492 वोट मिले थे.

दीपक जोशी का राजनीतिक सफरनामा

शिवराज सिंह जब 2003 विधानसभा चुनाव हार गए थे तब दीपक जोशी पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे वही इसके बाद दीपक  लगातार 2008 और 2013 में विधानसभा का चुनाव जीता और फिर वह शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी बने लेकिन 2018 में वह कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज चौधरी से चुनाव हार थे और साल 2020 में सिंधिया गुट के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद मनोज चौधरी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद बाद में हुए उपचुनाव में दीपक जोशी बीजेपी की ओर से चुनाव जीतकर विधायक बने.

दो क्या दीपक जोशी ने चल दिया गलत दांव

आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह से भाजपा से कांग्रेस में गए पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनाव लड़ने की हुंकार भर दी है यह कोई एक दिन का निर्णय नही हो सकता है हो सकता है की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गढ़ में उनके ही लोग उसने ऊब कर दीपक जोशी के माध्यम से बुधनी विधानसभा सीट से शिवराज सिंह चौहान का वर्चस्व खत्म करने का प्लान बना लिए हो, वैसे तो हो यह भी सकता है की 2013 की भांति शिवराज सिंह चौहान दो सीटों से चुनाव लड़कर सेफ गेम खेलें और हो यह भी सकता है की दीपक जोशी की राजनीति का पूर्ण अंत शिवराज सिंह चौहान के हाथों करारी हार के साथ हो जाएँ.  

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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