विश्व की पहली वैदिक घड़ी बनाकर वैदिक टावर पर हुई स्थापित जिसका लोकार्पण आज को वर्चुअल करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंस्टॉलेशन और टेस्टिंग का कार्य भी लगभग पूर्ण हुआ अब यह घड़ी लोकार्पण के लिए लगभग पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है PM मोदी करेंगे मुहूर्त-पंचांग बताने वाली घड़ी का लोकार्पण सूर्य-चंद्रग्रहण कब? यह भी बताएगी; उज्जैन में लग चुकी है दुनिया की पहली वैदिक घड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उज्जैन में वैदिक घड़ी का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे। यह दुनिया की पहली ऐसी डिजिटल वॉच होगी, जो इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) तो बताएगी ही, पंचांग और 30 मुहूर्त की भी जानकारी देगी। सूर्योदय – सर्यास्त से लेकर सर्य और चंद्र ग्रहण कब होगा? घड़ी में घंटे, मिनट और सेकंड वाली सुई भी रहेगी। सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर यह टाइम की कैलकुलेशन करेगी। मुहूर्त गणना, पंचांग, मौसम से जुड़ी जानकारी भी हमें इस घड़ी के जरिए मिलेगी।
घड़ी में समय के साथ ही मुहूर्त, ग्रहण, संक्रांति और पर्व की जानकारी भी मिलेगी।
इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होने के कारण दुनिया में कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकेगा।
घड़ी को मोबाइल और टीवी पर भी सेट किया जा सकेगा।
टॉवर के ऊपर टेलीस्कोप भी लगेगा, ताकि खगोलीय घटनाओं का नजारा देखा जा सके।
वैदिक घड़ी में वैदिक समय, IST, GMT के साथ भारतीय काल गणना विक्रम संवत् की जानकारी मिलेगी। विक्रम संवत् पंचांग (भारतीय प्राचीन कैलेंडर) शामिल रहेगा। सूर्योदय से सूर्यास्त के साथ ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण की जानकारी देगा। अभिजीत मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त, अमृत काल और मौसम से जुड़ी सभी जानकारी मिल सकेगी।
घड़ी में हर घंटे बाद बैकग्राउंड में नई तस्वीर दिखेगी। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र के साथ दूसरे धार्मिक स्थल भी दिखाई देंगे। देश-दुनिया के खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे भी दिखेंगे। वैदिक घड़ी इंटरनेट और ग्लोबल पॉजिशिनिंग सिस्टम (GPS) से जुड़ी होगी।
वैदिक घड़ी के सभी फीचर इस एप में रहेंगे। एप को भी आरोह श्रीवास्तव डिजाइन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका नाम ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी’ होगा।
घड़ी लगाने के लिए उज्जैन ही क्यों चुना?
10×12 की वैदिक घड़ी लगाने के लिए उज्जैन में जीवाजी वेधशाला के पास 85 फीट ऊंचा टावर बनाया गया है। विक्रम शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह घड़ी दुनिया की पहली घड़ी होगी, जिसमें भारतीय काल गणना को दर्शाया जाएगा।
उज्जैन को काल गणना (टाइम कैलकुलेशन) का केंद्र माना जाता रहा है। उज्जैन से कर्क रेखा (ट्रॉपिक ऑफ कैंसर) गुजरी है। CM डॉ. मोहन यादव उज्जैन को टाइम कैलकुलेशन का सेंटर बनाना चाहते हैं। उन्होंने 22 दिसंबर 2023 को विधानसभा सत्र के दौरान कहा था, ‘प्रदेश सरकार प्राइम मेरिडियन को इंग्लैंड के ग्रीनविच से उज्जैन तक ट्रांसफर करने के लिए काम करेगी। इसके लिए उज्जैन की वेधशाला में रिसर्च करेंगे।’
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 300 साल पहले तक उज्जैन से ही दुनियाभर का स्टैंडर्ड टाइम निर्धारित किया जाता था। समय का पता लगाने के लिए एक मशीन उज्जैन में मौजूद है।
क्या होता प्राइम मेरेडियन?
उज्जैन की वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त बताते हैं कि प्राइम मेरेडियन उस मुख्य स्थान को
कहते हैं, जहां देशांतर रेखा (लोंगिट्यूड लाइन) को 0 माना जाता है। उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली 360 रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहा जाता है। यह ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखा होती हैं।
देश की पहली वेधशाला (वर्तमान में जीवाजी वेधशाला) राजा जयसिंह द्वितीय ने सन् 1729 में उज्जैन में बनवाई थी। यहां समय देखने के लिए ‘धूप घड़ी’ बनाई गई। इससे उज्जैन समेत देश भर के शहरों के समय का आकलन किया जा सकता है।
वेधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त कहते हैं कि प्राचीन ग्रंथों में भी उज्जैन को प्रारंभिक बिंदु मनाकर समय की गणना की गई।
एक और बड़ा कारण है- विषुवत रेखा (इक्वेटर) से कर्क रेखा (ट्रॉपिक ऑफ कैंसर) और मकर रेखा (ट्रॉपिक ऑफ कैप्रीकॉर्न) के बीच सूरज की मूवमेंट दिखाई देती है। सूरज के इस मूवमेंट वाले पाथ को क्रांति वृत्त (सर्किल ऑफ रिवॉल्यूशन) कहते हैं। क्रांति वृत्त के दोनों ओर 9 अंश उत्तर और 9 अंश दक्षिण में 12 राशियां हैं।
अगर क्रांति वृत्त उज्जैन की स्थिति में रहेगा, तब आकाश में सटीक आकलन कर पाएंगे। ग्रहों की स्थिति और समय की सटीक माप कर सकेंगे। भारतीय मानक समय (IST) की बात करें, तो 82.5° पूर्वी देशांतर पर इलाहाबाद के पास नैनी है। वर्तमान में IST की गणना यहीं से की जाती है।
2022 में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने रखी थी नींव
वैदिक घड़ी की स्थापना कराने के लिए नींव 6 नवंबर 2022 को तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने की थी