सरपंचों के द्वारा वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन लिखे जाने पर बनेगी विवादित स्थिति : संयुक्त मोर्चा
जिला मुख्यालय उमरिया में आज सैकडो की तादात में ग्राम पंचायत सचिव और रोजगार सहायको में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के माध्यम से संयुक्त मोर्चा के द्वारा इस बात का विरोध किया गया है कि उनके वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन को अगर लिखने का अधिकार सरपंचों को दे दिया जाएगा तो शासन की विभिन्न योजनाओं को साधन पर उतरने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा
संयुक्त मोर्चे का मानना है कि ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक रूप से सचिव और ग्राम रोजगार सहायक शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को निःस्वार्थ बिना किसी के दबाव में आये आम जनमानस तक पहुंचाते है, ऐसे में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, के द्वारा उठाये जा रहे इस कदम से पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों के द्वारा नियमों के तहत किये जाने वाले विभिन्न कार्य दबाव में आकर प्रभावित हो सकते है, यही नहीं गोपनीय प्रतिवेदन सरपंचों के द्वारा लिखें जाने से मध्यप्रदेश की बहुतायत ग्राम पंचायतों में विवाद की स्थिति बन सकती है।
उपरोक्त कारणों से यह आवश्यक है की ग्राम पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन पूर्णतः “शासकीय कृत होकर पंचायत राचियों के ए.सी.आर. में प्रथम मत पंचायत समन्वय अधिकारी अथवा खण्ड पंचायत अधिकारी के द्वारा दर्ज किया जायें, एवं समीक्षाकर्ता अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को तथा स्वीकृतकर्ता अधिकारी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को बनाया जाना चाहिये, तथा ग्राम रोजगार सहायकों के लिये म.प्र. राज्य रोजगार गारंटी परिषद के पत्र क. 2677 दिनांक 15.04.2017 के अनुसार वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन हेतु नियत अधिकारी पूर्ववत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को ही रखा जाना चाहिये।