पति-पत्नी का प्रेम शाश्वत माना जाता है, और मध्य प्रदेश के गुना और बमोरी से सामने आई दो घटनाओं ने इस विश्वास को और गहराई दी है। इन घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्रेम जन्मों-जन्मों तक साथ निभाने का वादा करता है।
गुना में प्रेमचंद और विमलादेवी जैन का अमर प्रेम
गुना के राज कॉलोनी निवासी 84 वर्षीय प्रेमचंद जैन ने जैन धर्म की परंपरा के अनुसार एक जनवरी से अन्न-जल त्याग कर अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया। तीन दिनों की तपस्या के बाद शुक्रवार सुबह 7:30 बजे उनका स्वर्गवास हो गया।
परिवार उनके अंतिम संस्कार की तैयारियों में व्यस्त ही था कि दोपहर 2:10 बजे उनकी 80 वर्षीय पत्नी विमलादेवी जैन ने भी प्राण त्याग दिए। विमलादेवी कुछ दिनों से बीमार थीं, और प्रेमचंद उनके वियोग को सहन नहीं कर सके।
गुना की इस घटना ने पूरे शहर को भावुक कर दिया। लोग कहते सुने गए, “साथ जिए और साथ चले गए। यह सच में सात जन्मों का बंधन था।”
बमौरी में कल्याण सिंह और भागवती बाई का अद्वितीय प्रेम
गुना तहसील के धनोरिया गांव में रहने वाले 70 वर्षीय कल्याण सिंह धाकड़ और उनकी पत्नी भागवती बाई का भी प्रेम अमर हो गया। भागवती बाई लंबे समय से बीमार थीं, और परिवार यह मान चुका था कि उनका अंतिम समय निकट है।
इस चर्चा के दौरान ही कल्याण सिंह भावुक होकर मूर्छित हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दोपहर 1 बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उसी समय गांव से खबर आई कि उनकी पत्नी भागवती बाई ने भी प्राण त्याग दिए।
परिवार ने दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया। यह दृश्य देख गांववालों की आंखें नम हो गईं। सभी ने कहा, “ऐसा प्रेम आज के समय में दुर्लभ है। दोनों ने एक साथ दुनिया को अलविदा कह दिया।”
गुना और बमोरी की इन घटनाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्चा प्रेम मृत्यु को भी पार कर सकता है। यह दो कहानियां प्रेम और त्याग की वह भावना दिखाती हैं, जो जीवनभर साथ रहने और मरने की कसमें पूरी करती हैं।