बीते एक सप्ताह से मध्य प्रदेश में मौसम के हालात एक बार पुनः बदलने लगे हैं.मध्य प्रदेश के कई जिलों में बीते कई दिनों से वर्ष के आसार देखे गए हैं कई जिलों में यह को अलर्ट भी जारी किया गया है.मौसम केंद्र भोपाल के द्वारा 16 मार्च की दोपहर को अगले 24 घंटे के लिए मौसम का अलर्ट जारी किया गया जिसमें कई जिलों में बारिश की संभावना जताई गई है.
प्रातः 08:30 बजे के प्रेक्षण पर आधारित मौसम सारांश-
पिछले 24 घंटो के दौरान प्रदेश के सागर संभाग के जिलों में कहीं कहीं वर्षा दर्ज की गई एवं शेष सभी संभागों के जिलों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहा।
अधिकतम तापमानों में सभी संभागों के जिलों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ।
वे इंदौर, उज्जैन संभागों के जिलों में सामान्य से 2.1°C से 3.0 °C तक अधिक रहे, भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर, रीवा, जबलपुर, शहडोल संभागों के जिलों में सामान्य से 3.8 °C से 4.8 °C तक काफी अधिक रहे एवं सागर संभाग के जिलों में सामान्य से 5.3°C तक विशेषरूप अधिक रहे।
न्यूनतम तापमान भोपाल, नर्मदापुरम, उज्जैन, रीवा संभागों के जिलों में कल की तुलना में 2.6 °C से 3.4 °C तक काफी बढ़े एवं शेष सभी संभागों के
जिलों के तापमानों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ ।
वे जबलपुर संभाग के जिलों में सामान्य से 2.4°C अधिक रहे; भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, रीवा, शहडोल, सागर संभागों के जिलों में सामान्य से 3.7 °C से 5.0 °C तक काफी अधिक रहे एवं नर्मदापुरम के जिलों में सामान्य से 5.1°C विशेषरूप अधिक रहे।
सिनोष्टिक मौसमी परिस्थितियां
- पश्चिमी विक्षोभ एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में उत्तरी पाकिस्तान और निकटवर्ती जम्मू क्षेत्र के ऊपर माध्य समुद्र तल से 3.1 से 9.6 किमी के बीच स्थित है एवं साथ ही एक ट्रफ़ भी है, जिसकी धुरी माध्य समुद्र तल से 7.6 किमी ऊपर है और यह अक्षांश 24°N के उत्तर में देशांतर 70°E के साथ-साथ चल रही है।
- एक चक्रवातीय परिसंचरण उत्तर-पूर्वी राजस्थान और निकटवर्ती दक्षिण हरियाणा के ऊपर माध्य समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर बना हुआ है।
- एक चक्रवातीय परिसंचरण उत्तर-पश्चमी मध्यप्रदेश और निकटवर्ती क्षेत्र के ऊपर माध्य समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर बना हुआ है।
- एक ट्फ़ उत्तर-पश्चमी मध्य प्रदेश के ऊपर माध्य समुद्र तल से 0.9 किमी पर बने चक्रवातीय परिसंचरण से लेकर मराठवाड़ा तक बनी हुई है।
संभावित पूर्वानुमान
वर्षा या गरज चमक के साथ बौछारे
विदिशा, रायसेन, सिंगरौली, सीधी, रीवा, मऊगंज, सतना, अनुपपुर, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, मैहर जिलों में।
वज्रपात / झंझावात
रीवा, मऊगंज, सतना, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, मैहर जिलों में।
सुझाये गए कार्य –
इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें।
मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का सूक्ष्मता से पालन करे एवं शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करे।
कृषकों के लिए विशेष सलाह –
आने वाले कुछ दिनों में बारिश की संभावना नहीं है, जिसके कारण तापमान में लगातार वृद्धि होगी और फसलें की बालियों सूख सकती हैं। इसलिए दानेदार फसलों जैसे गेहूँ, सस्सों
और अरहर आदि के लिए हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है, ताकि स्थानीय स्तर नमी बनी रहे।
मृदा की नमी का ध्यान रखें, खरपतवार नियंत्रण करें और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) लागू करें।
फसलों के लिए आवश्यक संसाधनों (पानी, पोषक तत्व, और सूर्य का प्रकाश) का सही उपयोग सुनिश्चित करें।
पेडों के आधार पर मल्च डालें ताकि नमी बनी रहे और मिट्टी का तापमान नियंत्रित हो।
खेतों को वसंत बुवाई के लिए हल और जुताई करके तैयार करें।
गेहूं, सरसों, और मसूर में सिंचाई, कीट नियंत्रण और रोग प्रबंधन के उपाय अपनाएं।
बागवानी फसलों (जैसे बैंगन, गोभी) की रोपाई और बीमारी की निगरानी करें।
अरहर और गन्ने की फसल में भी में भी हल्की सिंचाई और पोषक तत्वों का प्रबंधन करें।
गन्ने के खेतों में समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण के उपाय करें।