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यूनीफार्म,जूते,टाई,किताबें और कापियों की खरीददारी पर लग गई धारा 144

ला एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए अब तक आपने सुना होगा की आपके जिले में कलेक्टर ने धारा 144  लगा दी है लकिन भला यूनीफार्म, जूते, टाई, किताबें, कापियां की खरीदी पर कलेक्टर ने क्यों लगा दी धारा 144 इसे जानने के लिए आपको पूरा आदेश पढ़ना पड़ेगा. कलेक्टर ने बताया कि उन्हें पालकों विभिन्न संगठनों एवं समाचार पत्रों आदि के माध्यम से यह बिन्दु संज्ञान में लाया गया कि शहर के निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही यूनीफार्म, जूते, टाई, किताबें, कापियां आदि खरीदने के लिये बाध्य किया जाता है, जबकि मितव्ययी, गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वसुलभ शिक्षा व्यवस्था का निर्माण लोक कल्याणकारी प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है ।

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स्कूल संचालकों व व्यवसायियों की सांठगांठ से इस प्रकार के कृत्य से विद्यार्थियों तथा उनके पालकों में रोष व्याप्त हो रहा है, साथ ही गरीब वर्ग के पालकों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। यह तथ्य भी संज्ञान में आया है कि निजी विद्यालयों के संचालक स्टेशनरी यूनिफार्म, आदि के विक्रेताओं से सांठगांठ कर पालकों का शोषण करते आ रहे हैं। विद्यालय के संचालक विक्रेताओं से छात्र संख्या के आधार कमीशन तय करते हैं, जो व्यापारी अधिक कमीशन देता है, उसके अधिकृत कर उसी दुकान से सामग्री कय करने हेतु बाध्य किया जाता है। इसके दुष्परिणामस्वरूप सामग्री एक तो मंहगी होती है तथा यदि कोई पालक कक्षा के पूरे सेट न खरीदते हुए केवल कुछ कॉपी किताबें खरीदना चाहे तो उसे केवल उतनी कॉपी किताबें न देते हुए पूरा सेट खरीदने हेतु इसलिये बाध्य किया जाता है, क्यों कि विक्रेता द्वारा पूरे सेट के आधार पर ही स्कूल संचालक को कथितरूप से कमीशन तय किया जाता है। कई बार सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो पाठ्यक्रम से सम्बन्धित ही नहीं है, जैसे डिक्शनरी, एटलस, आर्ट बुक, काफ्ट बुक, ड्राइंग बुक, वाटर कलर्स आदि का भी समावेश कर दिया जाता है।

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संचालकों द्वारा बनाये गये एकाधिकार को खत्म करने तथा विभिन्न माध्यमों से प्राप्त सुझावों से मुझे यह समाधान हो गया है कि ग्वालियर जिले के सभी निजी विद्यालयों द्वारा की जा रही इस एकाधिकार प्रवृत्ति से लोक प्रशांति विक्षुब्ध न हो तथा इसका निवारण अत्यन्त बांछनीय होने से, इसे रोकने हेतु कार्यवाही की जाना आवश्यक प्रतीत होता है, साथ ही विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुझे यह भी समाधान हो गया है कि चूंकि अधिकांश निजी विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। अतः विनियमन की कार्यवाही तत्काल की जाना है।

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अनिवार्य पुस्तकों की सूची वेबसाइट में करनी होगी अपलोड

स्कूल संचालक / प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिये अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की बेवसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजिक सूचना पटल / स्थान पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अन्तर्गत स्कूल की स्वयं की बेवसाइट होना अनिवार्य है। स्कूल के प्राचार्य / संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

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स्कूल संचालक अविभावकों को नही कर सकते बाध्य

स्कूल संचालक / प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबध्द पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने हेतु बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम तीस दिवस की अवधि 01 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पध्दति से शिक्षण में किया जावेगा।

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निजी मुद्रकों की किताबे होगी प्रतिबंधित

स्कूल जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई / आई.सी.एस.ई / एम.पी.बी.एस. ई / माध्यमिक शिक्षा मण्डल आदि से सम्बध्द है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिकरूप से अधिकृत ऐजेंसी यथा एन. सी. आर.टी.ई. म.प्र पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे। स्कूल संचालक / प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें कय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा।

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निजी मुद्रकों के एजेंट स्कूल में नही कर सकेंगे प्रवेश

स्कूल संचालक / प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों / अभिभावकों को पुस्तकें, कापियां, सम्पूर्ण यूनिफार्म आदि सम्बन्धित स्कूल / संस्था अथवा किसी दुकान / विक्रेता / संस्था विशेष से कम किये जाने हेतु बाध्य नहीं किया जावेगा । स्कूल संचालक / प्राचार्य / पालक शिक्षक संघ (पी.टी.एग) सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी स्थिति में पुस्तकों के निजी प्रकाशक / मुद्रक / विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करें।

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पुरानी किताबे मिलने पर नई किताब क्रय करने के लिए नही करे बाध्य

स्कूल संचालक / प्राचार्य / विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यकम से सम्बन्धित ही नहीं है का समावेश सेट में नहीं किया जावेगा। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय  करने की बाध्यता नहीं रखेगा, यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी पुस्तकें उपलब्ध है तो उसके केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकें ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई जायेंगी ।नोट बुक, कॉपी पर ग्रेड किस्म, साईज, मूल्य, पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिये. किसी भी पुस्तक, नोट बुक, कॉपी अथवा इन पर चढ़ाये जाने वाले कवर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जावेगा ।

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तीन साल तक नही बदल सकते स्कूल ड्रेस

कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे ब्लेजर / स्वेटर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकेगा कि कम से कम 03 वर्ष तक इसमें परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों / पालकों को कय करने हेतु बाध्य नहीं किया जावेगा ।

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मनमाना पाठ्यक्रम नही कर सकेंगे लागू

जिन विषयों के सम्बन्ध में नियमाक संस्था के द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित / मुद्रित नहीं की गई है उस विषय से सम्बन्धित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे कि लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो ।

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देखिए कलेक्टर का आदेश 

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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