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Vedio : MP के इस शहर में दिखा दुर्लभ सफ़ेद कौवा बड़े दिलचस्प है रंग बदलने ये दो कारण

अमूमन यदि आपके मन में कौवे का विचार आए तो काला रंग का कौआ ही आपको आपके अवचेतन मन में दिखाई देगा। सामान्य सी बात है कि घरों की छतों पर बैठे कौवे कांव-कांव करते रहते हैं। लेकिन यदि आपको इन काले कौवो के बीच में कभी सफेद कौवा दिख जाए ऐसा कभी आपने सोचा है क्या? तेरी आपने ऐसा कभी सोचा नहीं और ना ही देखा है तो आज हम आपके लिए एक दुर्लभ सफ़ेद कौवा लेकर आए हैं जिसे आप देख करके हैरान रह जाएंगे। वैसे तो समय-समय पर मध्य प्रदेश के कई जिलों में यह दुर्लभ सफेद कौए दिखे हैं लेकिन आज यह दुर्लभ सफ़ेद कौवा मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के नौरोजाबाद नगर में देखने को मिला है जहां इसे देखते ही कुछ लोगों ने मोबाइल कैमरे में इसे कैद कर लिया।

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आपके जेहन में सवाल जरूर कौंध रहा होगा कि कौवा सफेद कैसे हो गया तो आज हम इस आर्टिकल में आपको वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों विषयों पर चर्चा करेंगे और बताएंगे कि कौवे का रंग सफेद क्यों हो जाता है।

दरअसल सफ़ेद कौवा भी दूसरे कौवा जैसा ही काला होता है। लेकिन इसके पीछे वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स जगत चतुर्वेदी का कहना है कि सफेद रंग का कौआ मिलना काफी कम होता है, कौवे का सफेद रंग जेनेटिक कारणों से होता है इसे हार्मोनल डिफिशिएंसी के कारण होता है जिसे रिसेशिव नोटेशन कहा जाता है,जीन्स का चेंज होने से किसी भी एनिमल में किसी भी पक्षी में वह जिसमें पिगमेंटेशन प्रकिया के दौरान जो पिगमेंट ज्यादा हाई होंगे वो उस कलर का हो जाएगा इसके कारण कौआ सफेद हो गया है।वही वैज्ञानिक इसे एक अनुवांशिक दोष मानते है जिसे विज्ञान की भाषा में ल्यूसीज्म कहते हैं। ये वो कारण है जिससे कौवा सफेद हो जाता है।

कौवे के सफेद से काले होने के पीछे एक आध्यात्मिक कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि बहुत समय पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत की तलाश में भेजा और उसे आदेश दिया कि वह केवल अमृत के बारे में जानकारी लाए लेकिन उसे पिए नहीं। लेकिन अमृत देखकर कौवे ने उसे पीना चाहा। उसने अमृत पी लिया और फिर ऋषि को इसकी जानकारी दी। ऋषि कौवे से क्रोधित हो गए और उसे श्राप दिया कि लोग उससे नफरत करेंगे और उसे अशुभ मानेंगे क्योंकि उसने उसकी अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत छीन लिया है। इतना ही नहीं, उसने सफेद कौवे को अपने मांडला के पानी में डुबाकर काला कर दिया। ऐसा माना जाता है कि तभी से कौवे की प्रजाति का रंग काला होता है।

कौवे के सफेद से काले होने के पीछे एक आध्यात्मिक कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि बहुत समय पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत की तलाश में भेजा और उसे आदेश दिया कि वह केवल अमृत के बारे में जानकारी लाए लेकिन उसे पिए नहीं। लेकिन अमृत देखकर कौवे ने उसे पीना चाहा। उसने अमृत पी लिया और फिर ऋषि को इसकी जानकारी दी। ऋषि कौवे से क्रोधित हो गए और उसे श्राप दिया कि लोग उससे नफरत करेंगे और उसे अशुभ मानेंगे क्योंकि उसने उसकी अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत छीन लिया है। इतना ही नहीं, उसने सफेद कौवे को अपने मांडला के पानी में डुबाकर काला कर दिया। ऐसा माना जाता है कि तभी से कौवे की प्रजाति का रंग काला होता है।

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Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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