किसान के खेत का रेत कंपनी ने नही दिया किराया मामले की कलेक्टर से हुई शिकायत
- किसान कि भूमि पर भण्डारण कि हुई रेत का नही कराया गया उठाव वर्षो से पीड़ित किसान नही कर पा रहा स्वयं कि खेती
- खनिज विभाग को कराया जा चुका है अवगत नही हो पा रही अन्नदाता कि सुनाई किसान गौतम द्वारा लगाई जा रही जिला के एक्टिव कलेक्टर से न्याय कि गुहार
कटनी जिले के बरही तहसील क्षेत्र में इन दिनों रेत उत्खनन को लेकर आम जन अच्छा खासा परेशान हैं। कोई रेत के महंगे दामों को लेकर परेशान है तो कोई प्रदूषण को लेकर परेशान हैं । वही सबसे बड़ी बात यह है कि रेत ठेकेदारो कि तानासाही से किसानो कि परेशानियां भी दूर होती दिखाई नही दे रही है ठेकेदार कि हिटलर साही से किसान अपनी स्वयं कि जमीन पर भी खेती नही कर सकते हैं जिसकी वजह बताई जा रही है कि रेत कम्पनी के द्वारा किसानों से जमीन लेकर उसे एक दो वर्ष का किराया देकर उनकी जमीन पर रेत का ढेर लगा कर रख दिया गया है। और अब न हटाया जा रहा और न उन्हें किराया दिया जाता जिसके चलते अन्नदाता कहे जाने वाले किसान अपनी खेती नही कर पा रहे हैं
एक ऐसा ही ताजा मामला बरही तहसील के ग्राम पंचायत छिंदहाई पिपरिया से निकलकर सामने आया है जहां के किसान सत्येंद्र कुमार गौतम एवं दीपक गौतम जिनकी स्वयं कि भूमि पर विस्टा नाम कि रेत कम्पनी के द्वारा रेत का भण्डारण कराया गया था एक दो वर्ष हो गए पीड़ित किसान कि जमीन में रेत का ढेर लगा हुआ है जिसकी वजह से किसान अपनी खेती नही कर पा रहा है किसान के द्वारा ठेकेदार के लोगों से कहने पर विभिन्न प्रकार कि बाते व धमकी दी जाती है कहा जाता है कि जब हमारी इक्षा को तब हट जाएगी शिकवा शिकायत करने पर कुछ नही होगा पूरा सिस्टम हमारी मुट्ठी में है
गौरतलब है कि पीड़ित किसान दीपक गौतम द्वारा इस मामले को लेकर सीएम हेल्पलाइन से लेकर जिला प्रशासन तक से मदद कि भीख मांगी जा चुकी है लेकिन उसकी फरियाद दरकिनार कर बाहुबली रेत कंपनी पर अपनी मेहरबानी क्यों दिखाई जा रही इस बात से किसान अनजान हैं वही किसानो के लिए सरकार कितनी चिंतित नजर आ रही है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है। कि कटनी जिला का प्रशासन किसानों को लेकर कितना गम्भीर है चूंकि पीड़ित किसान के द्वारा मदद कि गुहार लगाने के बावजूद कोई सुनाई नही हो रही है बहरहाल पीड़ित किसान द्वारा प्रदेश के मुखिया मोहन यादव एवं जिला कलेक्टर श्री प्रसाद से न्याय कि गुहार लगाई जा रही है अब देखना यह बाकी होगा क्या किसान को न्याय मिल पाता है या पीड़ित किसान अपनी खेती करने के लिए दर दर भटकने के लिए मजबूर रहेगा
नीरज मिश्रा बरही