Tiger Pujari in Bandhavgarh : विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में आए दिन बाघों की नई-नई वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होती है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के पर्यटन क्षेत्र में मौजूद बाघ जिन्हें विभाग के द्वारा विभागीय नाम तो दिया ही गया है। लेकिन जिप्सी ड्राइवर गाइड और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के द्वारा भी बाघों को विशेष पहचान के आधार पर उन्हें नाम दिए जाते हैं। यही कारण है कि आप किसी बाघ का विभागीय नाम जाने या ना जाने लेकिन जैसे ही आपसे उनके स्थानीय नाम की जब चर्चा होगी तब आप उस बाघ के बारे में जरूर जान जाएंगे। यही नहीं मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व के साथ-साथ पूरे देश भर के टाइगर रिजर्व में यही नामकरण की प्रक्रिया प्रचलन में है।
आज हम आपसे जिस बाघ की चर्चा कर रहे हैं यह बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली कोर में अपनी टेरिटरी बना करके बादशाहत कायम किए हुए हैं।इस बाघ को ‘पुजारी’ के नाम से आप भी जानते ही होंगे।

बाघ रोज नहाता है मुड़रहा तालाब में
दरअसल इस बाघ का नाम पुजारी कैसे रखा गया इसके पीछे बड़ी रोचक कहानी है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दशकों से बाघों के बीच में काम करने वाले वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बाघ पुजारी रात भर अपने टेरिटोरियल जोन में घूमने के बाद में सुबह होते-होते तालाब के पास पहुंच जाता है। प्रतिदिन खितौली कोर ज़ोन के मुड़रहा तालाब में सुबह 7 बजे के आसपास प्रतिदिन तीन से चार डुबकी लगाता है। डुबकी लगाने के बाद तालाब के बगल में कुछ समय तक आराम करने के बाद में क्षेत्र भ्रमण में निकल जाता है।

हप्ते में 6 दिन करता है स्नान
बाघ द्वारा तालाब में स्नान करने की यह प्रक्रिया एक-दो दिन नहीं बल्कि हफ्ते में 6 दिन की जाती है। प्रतिदिन बाघ के द्वारा तालाब में स्नान करना और नियमित सुबह के समय स्नान करना इसे स्थानीय गाइडों और जिप्सी ड्राइवर के द्वारा जब लगातार देखा गया तब इसका नाम ‘पुजारी’ रख दिया गया।

तो अब तो आप जान ही गए होंगे कि कैसे इस बाघ का नाम पुजारी कैसे पड़ा है। आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने फ्रेंड्स के साथ जरूर शेयर करें। और ऐसे ही लेटेस्ट खबरों के लिए khabarilal.net को गूगल न्यूज़ पर सब्सक्राइब कर लें।