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MP में मिला यह दुर्लभ Karakal,पानी के मामले में ऊंट को भी दे देता है मात 

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MP में मिला यह दुर्लभ Karakal,पानी के मामले में ऊंट को भी दे देता है मात 
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Karakal found in mp : आपके घरों में और आसपास रहने वाली बिल्लियों की ऐसी भी प्रजातियां हैं जो अति दुर्लभ श्रेणी में आती हैं। अभी हाल ही में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अति दुर्लभ श्रेणी की कैविएट कैट कैमरे में कैद हुई थी। वही बिल्ली की एक अति दुर्लभ प्रजाति मंदसौर जिले के गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण में भी ट्रैप कैमरे में कैद हुई है। बिल्ली की इस प्रजाति को देखकर के वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट भी हैरान हो चुके हैं। बताया जाता है कि अपने कानों के विशिष्ट आकर के कारण इसका विशेष नाम पड़ा है।

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इसे जाना जाता है स्याहगोश या कैराकल के नाम से 

इस दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली का नाम वैसे तो स्याहगोश  कहा जाता है। इसके अगर हिंदी नाम की चर्चा करें तो स्याह का मतलब होता है काला,काले कलर के कान के कारण इसे यह नाम मिला है। वही इस कैराकल भी कहा जाता है, यह एक तुर्की शब्द है। इसका अर्थ होता है काला कान। इस दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली के कानो का रंग काला और बड़ा होने कारण यह अति दुर्लभ श्रेणी में आती है।

MP में मिला यह दुर्लभ Karakal,पानी के मामले में ऊंट को भी दे देता है मात 
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कहा हुई स्याहगोश कैमरे में कैद

मंदसौर जिले के गांधी वन्य जीव अभ्यारण में यह दुर्लभ प्रजाति कि बील्ली  ट्रैप कैमरे में कैद हो गई है। डीएफओ गांधी सागर संजय रायखीरे की जानकारी के अनुसार स्याहगोश बिल्ली का मिलना मध्य प्रदेश के वाइल्डलाइफ के इतिहास में एक गर्व की बात है। उन्होंने कहा यह दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली मिलने से वाइल्डलाइफ के क्षेत्र में शोध होंगे। साथ ही इस दुर्लभ बिल्ली का मिलना है यह भी दर्शाता है कि मध्य प्रदेश में वाइल्डलाइफ को लेकर के काफी अच्छे काम हो रहे हैं।

कहा है स्याहगोश की मौजूदगी

यह बिल्ली वैसे उत्तर भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में मिलती है। यही कारण है कि यह मंदसौर के आसपास क्षेत्र में देखी गई है। वैसे यह बिल्ली सूखे मैदानी इलाकों और अर्ध रेगिस्तान इलाकों में रहना पसंद करती है। इस बिल्ली की उम्र 12 वर्ष के आसपास बताई जाती है। पानी के मामले में यह बिल्ली ऊंट को भी मात दे देती है। यह बिल्ली बिना पानी पिए लंबे समय तक जीवित रह सकती है। पानी की पूर्ति करने के लिए किए गए शिकार के तरल पदार्थ से पूरा कर लेती है।इसे पालना भी बड़ा आसान है कई देशों में इस पालतू के रूप में भी पाला जाता है।

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जोड़े में रहना पसंद करती है स्याहगोश 

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली अक्सर जोड़े में रहना पसंद करती है। वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अगर इस क्षेत्र में यह नर स्याहगोश देखा गया है तो उम्मीद है कि आसपास ही कहीं न कही मादा स्याहगोश भी होगी। वन विभाग का अमला अबमादा स्याहगोश को ढूंढने में लग गया है।

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संजय विश्वकर्मा खबरीलाल न्यूज़ पोर्टल हिंदी में कंटेंट राइटर हैं। वे स्टॉक मार्केट,टेलीकॉम, बैंकिंग,इन्सुरेंस, पर्सनल फाइनेंस,सहित वाइल्ड लाइफ से जुड़ी खबरें लिखते हैं।संजय को डिजिटल जर्नलिज्म में 8 वर्ष का अनुभव है।आप संजय से 09425184353 पर सम्पर्क कर सकते हैं।