अक्सर लोग जरूरतें पूरी करने के लिए बैंकों से कर्ज लेते हैं पर कई बार किस्त चुकाने में विफल हो जाते हैं। किस्त चुकाने में विफल रहने पर बैंक के रिकवरी एजेंट द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाएं देखने को मिली है। इसकी बड़ी वजह लोगों में नियमों की जानकारी नहीं होना है। कानून के अनुसार, बैंक एजेंट कर्जदारों से जबरन वसूली नहीं कर सकते।
बैंकों को अपने पैसे की वसूली का अधिकार है। इसके लिए आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। रिजर्व बैंक के मुताबिक, बैंक अपने पैसे की वसूली के लिए रिकवरी एजेंट की सेवाएं ले सकत हैं लेकिन ये हदें पार नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने भी कर्ज की वसूली के लिए एजेंट के जरिए धमकाना, दुर्व्यावहार करना और प्रताड़ित किए जाने को अपराध माना है।
रिकवरी एजेंट यदि आपको परेशान करता है, धमकाता, हाथापाई करता है तो आपको अधिकार है कि इसकी शिकायत बैंक के साथ-साथ पुलिस में भी करें। किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है। ऐसे में डिफॉल्टर के साथ बैंक या उसका कोई रिकवरी एजेंट मनमानी नहीं कर सकता।
Source-livehindustan