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Bandhavgarh में शुरू हुई 3 दिवसीय गिद्ध गणना जानिए गिद्ध को क्यों कहते हैं सफाई का दरोगा

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Bandhavgarh में शुरू हुई 3 दिवसीय गिद्ध गणना
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मध्य प्रदेश को पूरा देश टाइगर स्टेट के रूप में जानता है लेकिन आपको जानकर काफी खुशी होगी कि मध्य प्रदेश गिद्ध स्टेट भी कहलाता है।आज मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व सहित एमपी के समस्त डिविजनों में गिद्ध करना एक साथ प्रारंभ कर दी गई है।

Bandhavgarh में शुरू हुई 3 दिवसीय गिद्ध गणना जानिए गिद्ध को क्यों कहते हैं सफाई का दरोगा
Young man shot dead at the gate of Babdi temple

डिप्टी डायरेक्टर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पीके वर्मा ने जानकारी दिए थे बताया कि आज सुबह से ही समस्त वीटो में वन कर्मी घूम-घूम कर गिद्ध गणना कर रहे हैं और प्रपत्र में भरकर के लोकेशन समेत तमाम जानकारियां एकत्र कर रहे हैं।आपको बता दे की मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 10000 गिद्ध बीते वर्ष की गणना में पाए गए थे भारत में वैसे सात प्रकार के गिद्ध पाए जाते हैं जिसमें से चार यहां के मूल प्रजाति हैं और तीन प्रवासी प्रजातियां हैं।

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3 day vulture count bandhavgarh

सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं गिद्ध

कम ही लोग जानते हैं कि जंगलों की सफाई में गिद्ध कितनी अहम भूमिका निभाते हैं। जंगल को महामारी से बचाने के लिए वन प्रबंधन गिद्धों की संख्या बनाए रखने के प्रयास करता है। प्रकृति के सफाईकर्मी के रूप में, गिद्ध जिस पर्यावरण में रहते हैं उसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका सफ़ाई करने का व्यवहार पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और संभवतः बीमारी के प्रसार को कम करता है। जानवरों के शवों का कुशलतापूर्वक उपभोग करके, गिद्ध जानवरों के शवों को इकट्ठा करने और प्रसंस्करण संयंत्रों तक ले जाने की आवश्यकता को समाप्त कर देते हैं। जिससे हमें हर साल कचरा प्रबंधन में लाखों रुपये की बचत होती है। यही कारण है कि हर साल जंगलों में गिद्धों की गिनती की जाती है। लोग सोचते हैं कि शेर, तेंदुआ, तेंदुआ, जंगली कुत्ते और सियार जंगली जानवरों के मुख्य शिकारी हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। ‘मांसाहारी (स्तनधारी) इसका केवल 36 प्रतिशत ही खा सकते हैं और बाकी गिद्धों के पास चला जाता है। बैक्टीरिया और कीड़े इस संसाधन के लिए गिद्धों से प्रतिस्पर्धा करते हैं, फिर भी गिद्ध सबसे बड़े उपभोक्ता हैं।

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जंगल का सफाई दरोगा बोला जाता है गिद्ध 

जंगल में मांसाहारी वन्यजीवों के द्वारा जब स्वीकार किया जाता है तो उसे पूरा का पूरा नहीं खाया जाता है। ऐसे में यदि यह बच्चा हुआ मांस जंगल में पड़ा रहेगा तो अनेक तरह की बीमारियां शाकाहारी वन्यजीवों के लिए खतरा बन जाएगी। लेकिन शुक्र है जंगल में गिद्ध रहते हैं क्योंकि गिद्ध न केवल सड़ा हुआ मांस और मृत जानवरों कहते हैं बल्कि जिंदा कीड़े मकोड़े को भी निकल जाते हैं। गिद्ध की नजर काफी साफ होती है काफी दूर से उन्हें दिखाई दे देता है कि जंगल में किस स्थान पर शिकार का बच्चा हुआ मांस पड़ा है ऐसे में यदि जब बाघ या अन्य मांसाहारी जीव शिकार खाकर छोड़ देते हैं तो गिद्ध उन्हें साफ कर देते हैं। यही कारण है कि गिद्ध को जंगल का सफाई का दरोगा भी कहा जाता है।

Bandhavgarh में शुरू हुई 3 दिवसीय गिद्ध गणना जानिए गिद्ध को क्यों कहते हैं सफाई का दरोगा
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गिद्ध अपने आहार में हड्डियाँ भी खाते हैं

गिद्ध उड़ाने में जितना शक्तिशाली होता है उतनी उसकी पाचन शक्ति भी काफी मजबूत होती है। दुनिया भर के पक्षियों में गिद्ध ही एक ऐसा पक्षी है जो हड्डियों को भी 50 लेने की ताकत रखता है। गिद्ध के पेट में एसिड ऐसे तमाम चीजों को पचाने के लिए काफी होता है जो बाकी वन्य जीव नहीं बचा पाते हैं। गिद्ध के पेट में मौजूद एसिड इतना शक्तिशाली होता है जो हैजा और बैक्टीरिया को भी मार सकता है जो अन्य वन जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं।

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गिद्ध ऊंची उड़ान भरने के लिए भी जाने जाते हैं

गिद्धों के विशाल पथ उन्हें उन्मुक्त गगन में ऊंची उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र करते हैं। गिद्ध अपने भोजन के लिए कभी-कभी एक बड़े क्षेत्र का सर्वेक्षण भी कर डालते हैं। गिद्धों की विशालकाय पंखों को कोई सीमा उन्हें उड़ान भरने से रोक नहीं सकती। गीत अपने भोजन के लिए बड़ी लंबी-लंबी दूरियां भी तय करते हैं।

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3 day vulture count bandhavgarh
Bandhavgarh Tiger Reserve
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मेरा नाम संजय विश्वकर्मा है,वैसे मेरा ख्याल है ‘खबर वह है, जिसे कोई दबाना चाहे। बाकी सब केवल विज्ञापन है’ बतौर पत्रकार मेरा काम है, कि यथासंभव स्पष्ट रूप से ख़बरों की सच्चाई से आपको रूबरू करवा सकूँ। सच बोलता हूँ और विभिन्न परिस्थितियों में सही और सटीक काम करने का प्रयास भी करता हूँ। आप 09425184353 पर संपर्क करके मुझे खबर से अवगत करवा सकते हैं। आपका नाम और पहचान सार्वजानिक नही करूँगा।
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