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MP NEWS -कॉटन कैंडी खाने से हो सकता है कैंसर बाल शिशु रोग विशेषज्ञ ने दी ये बड़ी जानकारी

कॉटन कैंडी बच्चों के स्वस्थ्य पर बड़ा असर डाल सकती है। कॉटन कैंडी खाने से बच्चों को जानलेवा बीमारी केंसर हो सकती है। ऐसी ही एक रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी करते हुये कॉटन कैंडी खाने से ...

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आदित्य

MP NEWS -कॉटन कैंडी खाने से हो सकता है कैंसर बाल शिशु रोग विशेषज्ञ ने दी ये बड़ी जानकारी

कॉटन कैंडी बच्चों के स्वस्थ्य पर बड़ा असर डाल सकती है। कॉटन कैंडी खाने से बच्चों को जानलेवा बीमारी केंसर हो सकती है। ऐसी ही एक रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी करते हुये कॉटन कैंडी खाने से होने वाले केंसर की जानकारी दी है।

तमिलनाडु सरकार ने अपने राज्य में कॉटन कैंडी की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी है। लेकिन मध्यप्रदेश में अभी भी बहुत तेजी से बाजार,मेलों और शादी समारोह में बड़ी मात्रा में कॉटन कैंडी की ब्रिकी हो रही है। अगर मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की बात करे तो वर्तमान में नर्मदापुरम में रामजी बाबा का मेला आयोजित हो रहा है।जिसमे कॉटन केंडी की बड़ी मात्रा में दुकाने लगी हुई है यहां बच्चों को कॉटन कैंडी बेची जा रही है जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

नर्मदापुरम शहर में लगे रामजी बाबा मेले में कॉटन केंडी बेची जा रही है। तमिलनाडू में कॉटन कैंडी की जांच के बाद आई रिपोर्ट में कॉटन कैंडी में रोडामाइन-बी मिला है। जिसके कारण तमिलनाडु मिनिस्ट्री ने कॉटन कैंडी की ब्रिकी और प्रोडक्शन पर रोक लगा दी है। तमिलनाडू की रिपोर्ट आने के बाद भी नर्मदापुरम जिले में स्वास्थ्य विभाग कॉटन कैंडी की जांच नही कर रहा है। कॉटन केंडी में शुगर के साथ जो कलरों को उपयोग किया जा रहा है। वह कही न कही बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है। इस सबंध में खाद अधिकारी जितेंद्र सिंह राणा नर्मदापुरम ने बताया कि जल्द ही बाजार और मेले में बिकने वाले कॉटन केंडी के सेम्पल लेकर इसकी जांच कराई जायेगी। अगर जांच में कुछ तथ्य केंसर जैसे सामने आते है। तो कॉटन केंडी की बिक्री पर रोक लगाई जाएगी।

बाल शिशु रोग चिकित्सक डॉ भास्कर गुप्ता ने बताया कि कॉटन केंडी शुगर और कलर से मिलकर बनती है। जिसमे सभी कलर सिंथेटिक होते है। जो कि सेहत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचा सकते है। दूसरा शुगर सिरप का उपयोग किया जाता है।उससे जो कलर फुरप फाइबर्स बनाये जाते है,वह बाहरी प्रदूषण को बहुत बुरी तरह से अट्रेक्ट करता है।उसमें डाट्स पार्टीकल और वायु में जितने भी पलूशन है।वह बहुत अच्छे से उसे एब्जॉर्ब कर लेते है।यह भी बच्चों की स्वास्थ्य पर असर करते है।

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