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Varuthini Ekadashi 2024 Katha : इस कथा के बिना अधूरा रह जाएगा वरुथिनी एकादशी का व्रत

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The fast of Varuthini Ekadashi will remain incomplete without this story
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Varuthini Ekadashi 2024 Katha : तीन बहुत ही महत्वपूर्ण योग के योग इंद्र योग, वैधृति योग और त्रिपुष्कर योग साथ वरुथिनी एकादशी इस वर्ष 4 में दिन शनिवार को मनाई जानी है.प्रतिवर्ष वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पूरे देश भर में वरुथिनी  एकादशी का व्रत किया जाता है.भगवान विष्णु के 12 अवतारों की इस दिन विशेष विधि से पूजा पाठ की जाती है साथ ही उनसे जुड़ी हुई कथा भी सुनी जाती है.कहा जाता है कि यदि इस दिन बाद इतनी एकादशी के व्रत के साथ अगर कथा ना सुनी जाए तो व्रत अधूरा रह जाता है.काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य रूद्रानंदजी से जानते हैं पर उतनी एकादशी की व्रत कथा.

वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा


जीवन में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से स्वयं वैशाख कृष्ण एकादशी के व्रत कथा और विधि विधान के बारे में विस्तार से पूछा.इस पर भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताते हुए कहा कि हे युधिष्ठिर इस एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.उन्होंने आगे कहा कि जो भी इस व्रत को पूरे तन मन और धन से करता है उसे जीवन में सुख शांति और समृद्धि मिलती है.इसके साथ ही पूर्व जन्मों के समस्त पापों का नाश भी हो जाता है.

भगवान कृष्ण ने बताया बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के राजा मांधाता नर्मदा नदी के तट पर बसे हुए अपने राज्य पर बड़ी कुशलतापूर्वक शासन करते थे.वह बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे.अधिकतर समय उनका धर्म कर्म पूजा पाठ में लगा रहता था.एक बार में तपस्या करने के लिए उन्होंने जंगल जाने का मन बनाया.दिया वहां जंगल में पहुंच करके वह अपनी तपस्या में लीन हो गए.तपस्या को कुछ समय गुजरे थे की एक भालू ने उन पर हमला कर दिया.

जंगली भालू ने राजा मांधाता पर आक्रमण कर दिया.और पैर पड़कर के भालू ने राजा मांधाता को जंगल में घसीटना शुरू कर दिया.इतना कुछ हो जाने के बाद भी राजा मांधाता अपनी तपस्या से नहीं उठे और मन ही मन श्री हरि विष्णु से अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए प्रार्थना करने लगे.भालू राजा मांधाता को घसीटता हुआ जंगल के अंदर ले गया.राजा मांधाता की ऐसी कठिन तपस्या देखकर करके भगवान विष्णु वहां स्वयं प्रकट हुए.उन्होंने अपने चक्र से भालू के गले को काट दिया.और इस तरह राजा मांधाता के प्राण भगवान विष्णु ने बचा लिए.

भालू के आक्रमण से राजा मांधाता का एक पैर पूरा खराब हो गया था.क्योंकि भालू ने उस पैर को चबाकर खा गया था.अपने पैर की हालत देखकर के राजा मांधाता बहुत दुखी हो गए.तब भगवान विष्णु ने कहा की है राजन तुमने अपने पिछले जन्मों में जो कर्म किए हैं उसी का परिणाम है कि यह पर तुम्हारा भालू ने नष्ट कर दिया है. तुम मथुरा जाकर  वरुथिनी एकादशी का व्रत बैसाख की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन करना, इसके साथ ही मेरे 12 स्वरूपों  की पूजा करना.तुम्हें नया शरीर प्राप्त हो जाएगा

भगवान विष्णु के आदेशानुसार राजा मांधाता ने वरुथिनी एकादशी के दिन मथुरा पहुंच कर के विधि विधान के साथ में व्रत किया और भगवान वराह की पूजा भी की.पूरी रात्रि का जागरण करने के पश्चात अगले दिन उन्होंने पारण किया.राजा के व्रत से खुश होकर के भगवान श्री हरि ने उन्हें एक सुंदर स्वरूप प्रदान किया.अंत में राजा मांधाता को स्वर्ग की प्राप्ति हुई.जो भी व्यक्ति वरुथिनी एकादशी का व्रत करता है.उसके जीवन के समस्त पाप मिट जाते हैं और उसे राजा मांधाता के जैसा ही सुख प्राप्त होता है

वरुथिनी एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय

  • वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ: 3 मई, रात 11:24 PM से
  • वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का समापन समय : 4 मई, रात 08:38 PM पर
  • त्रिपुष्कर योग: 08:38 PM से रात 10:07 PM तक
  • शुभ-उत्तम मुहूर्त: 07:18 AM से 08:58 AM तक
  • पारण समय: 5 मई, रविवार, 05:37 AM से 08:17 AM तक
Varuthini Ekadashi 2024 Katha
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