मध्य प्रदेश में जिलों के प्रभारी मंत्री नियुक्त किए जाने के पीछे सरकार की मंशा यह होती है कि जिले के प्रभारी मंत्री प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर अपना प्रभावित दिशा निर्देशन देकर के जिले में विकास, स्थानीय समस्याओं की निराकरण और योजनाओं की क्रियान्वयन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। साथ ही समय-समय पर स्थानीय प्रशासन को दिशा निर्देश देने का काम करेंगे जिससे कि विकास की योजनाओं की सतत मॉनेटरी हो सके और आमजन की समस्याओं को समाधान का समाधान किया जा सके।
जिले के प्रभारी मंत्री की इतनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन जब जिले का प्रभारी मंत्री ही भूखा पेट सो जाए और रात को प्रशासन से गुहार लगाए की उसे खाना नसीब नहीं हुआ है तब मान लीजिए की तानाशाही का स्तर किस लेवल तक पहुंच चुका है।
MP के इस जिले की प्रभारी मंत्री को नशीब नही हुआ रात का भोजन मंत्रीजी ने बताया आपबीती@aajtak @ChouhanShivraj @CMMadhyaPradesh @DrMohanYadav51 @NDTVMPCG @newsSChaudhry @PTI_News @ANI pic.twitter.com/5arEUd5k9t
— Khabarilal (खबरीलाल) (@khabarilalg) October 7, 2024
ताजा मामला मध्य प्रदेश के नवगठित जिले मैहर का है। जहाँ जिले की प्रभारी मंत्री राधा सिंह आप बीती बताती हुई नजर आईं है। उन्होंने कहा कि रात में उन्हें खाना नसीब नहीं हुआ। भूखे पेट नींद नहीं आ रही थी। तब उन्होंने एसडीएम से इस बात की शिकायत की है लेकिन एसडीएम ने टालमटोल कर दिया।
सोचिए भला जिले के प्रभारी मंत्री को जब भरपेट खाना जिला प्रशासन मुहैया नहीं करा सकता तो जिले की गरीब जनता को क्या प्रशासन से उम्मीद हो सकती है। हाल ही में जिले के सहाफियों के द्वारा भी कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है। मध्य प्रदेश का इकलौता जिला है जहां जिले भर के सहाफियों के द्वारा जिला प्रशासन के खिलाफ मुखर होकर ऐसा विरोध किया जा रहा है।