imd alert mp : नवंबर की पहले सप्ताह से ही ठंड में अपना असर दिखना शुरू कर दिया है। लगातार तापमान में गिरावट एक और जहां देखी जा रही है वहीं अब शीतलहर चलने की संभावना भी मौसम विभाग के द्वारा जताई जा रही है। मौसम केंद्र भोपाल के द्वारा मध्य प्रदेश के दर्जनों जिलों को ड्राई घोषित किया गया है वहीं लगभग 9 जिलों में शीतलहर की संभावना भी जताई गई है।
क्यों गिर रहा है तापमान
बताया जा रहा है कि पश्चिमी विकशॉप एवं एक चक्रवर्ती परिसर के रूप में उतरी पंजाब और निकट वटी क्षेत्र में माध्य समुद्र तल से 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है।तथा एक ट्फ़, मध्य क्षोभमंडलीय पश्चिमी हवाओं में माध्य समुद्र तल से 5.8 किमी की ऊंचाई पर 72° पूर्व देशांतर से 32° उत्तर अक्षांश के उत्तर विस्तृत है।इसी कारण तापमान में लगातार गिरावट आ रही है।
इन जिलों के लिए जारी हुआ शीत लहर का यलो अलर्ट
भोपाल, सीहोर, राजगढ़, इंदौर ,उज्जैन, देवास, शाजापुर,रीवा और सतना
ये जिले रहेंगे शुष्क
भोपाल, विदिशा, रायसेन, सिहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, बुरहानपुर, खंडवा, खरगौन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, इंदौर, रतलाम, उज्जैन, देवास, शाजापुर, आगर, मंदसौर, नीमच, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकलां, सिंगरौली, सीधी, रीवा, मऊगंज, सतना, अनुपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, मैहर, पांढुर्णा जिलों में।
MP के इन 9 जिलो के लिए जारी हुआ शीतलहर का Yellow अलर्ट
सुझाये गए कार्य
शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता, सफ़ेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उंगलियों, कान की ली तथा नाक की ऊपरी सतह का ध्यान रखे।
शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गेंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः शीत लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह ले तथा तब तक अंगी को गरम करने का प्रयास करे।
शीत लहर के प्रभाव से हाइपोथर्मिया हो सकता है। शरीर में गर्मी के हास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा, मांसपेशियों में अकडन, सांस लेने में दिक्कत/निश्वेतन की अवस्था हो सकती है। यह
अत्यधिक गंभीर अवस्था है इसमें तत्काल चिकित्सीय सहायता लें।
शरीर की गर्माहट बनाये रखने हेतु अपने सर, गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को अच्छे से ढंके एवं पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जल रोधी जूते आदि पहने। शीत लहर के
समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहे और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर पात्रा करें।
इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे फ्लु, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाए एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और स्थानीय अधिकारियों जैसे आधिकारिक स्रोतों से मौसम के पूर्वानुमान और अलर्ट पर नजर रखें।
कृषकों के लिए विशेष सलाह
गेहूं, चना, मसूर, मटर, अलसी और सरसों की बुवाई एवं भूमि तैयारी के लिए अनुकूल परिस्थितियों है।
बुवाई से पहले बीज उपचार अवश्य करें- फफूंदनाशी (जैसे धिरम या कैप्टान @ 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) तथा जैव उर्वरक (राइजोबियम / पीएसबी) से उपचारित करें, जिससे बेहतर अंकुरण और रोगों की रोकथाम हो सके।
सब्जियों और दलहनी फसलों में माहू (aphid), जासिड (jassid) तथा झुलसा (blight) रोग की नियमित निगरानी करें। यदि इनकी उपस्थिति दिखाई दे, तो साफ मौसम में ही अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें।
पशुओं को स्वच्छ पेगजल और सूला चारा उपलब्ध कराएँ। पशुशाला में उचित स्वच्छता एवं वेंटिलेशन (हवा आने-जाने की व्यवस्था) बनाए रखें।
कटाई की गई सोपाचीन और धान की उपज को सूखे, नगी-रहित और हवादार गोदामों में रखें, ताकि फफूंद का विकास न हो।
जिन किसानों ने गर्मी के मौसम में मिट्टी की जांच नहीं कराई है, वे अब खेत के 1 एकड़ क्षेत्र से 5-6 स्थानों से लगभग 6 इंच गहराई तक मिट्टी के नमूने लेकर निकटतम मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।












