गाय को पकड़कर गोशाला के कमरे में बंद कर ताला तो लगा दिया, लेकिन ताला खोलकर गाय को चारा डालना या उसे बाहर छोड़ना भूल गए। नतीजा कमरे में बंद गाय भूख-प्यास से तड़त-तड़ककर मर गई। बदबू उठने पर लोगों ने गोशाला का ताला खुलवाया तो उसमें गाय का कंकाल मिला। दिल दहला देने वाली यह घटना मुरैना जिले के पोरसा जनपद पंचायत की विजयगढ़ ग्राम पंचायत में सामने आई है। विवाद थाने पहुंचा तो पुलिस ने केस दर्ज करने के बजाय फैसला सुनाया कि गाय की अस्थियां गंगाजी ले जाएं, कन्या भोज कराएं।
विजयगढ़ गांव की गोशाला से कई दिन से सड़ांध भरी बदबू उठ रही थी। इस कारण गोशाला के पास से गुजरना भी दूभर हो रहा था। कुछ ग्रामीणों को संदेह हुआ कि गोशाला में कोई मवेशी मर गया है, इसलिए शनिवार की देर शाम गांव के युवक सूर्यकांत शर्मा कुछ ग्रामीणों को लेकर गोशाला पहुंच गए। पूरी गोशाला खाली पड़ी थी, लेकिन एक कमरे का ताला लगा हुआ था। इसी कमरे से सड़ांध भरी बदबू आ रही थी। ग्रामीणों ने नाक-मुंह पर साफी बांधी और यह ताला खुलवाने के बाद कमरे में अंदर देखा तो गाय का कंकाल पड़ा हुआ था। गाय पूरी तरह हड्डियों का ढांचा बन चुकी थी, जिसमें कीड़े पड़ रहे थे। गाय का शव कम से कम एक महीने पुराना लग रहा है।गोशाला में यह अमानवीय हाल देखकर ग्रामीण हैरान हैं और ग्राम पंचायत की लापरवाही की शिकायत लेकर कई ग्रामीण महुआ थाने पहुंच गए हैं।
गोशाला में गाय का कंकाल मिलने के बाद से ही गांव में तनाव का माहौल था। इसीलिए रविवार की सुबह 15 से 17 ग्रामीण इकट्ठा होकर महुआ थाने पहुंच गए। ग्रामीणों ने इसे गोहत्या बताते हुए पशु क्रूरता अधिनियम के तहत पंचायत व गोशाला के जिम्मेदारों पर केस दर्ज करने की मांग की। मामला अति संवेदनशील होने के कारण पुलिस ने भी विजयगढ़, महुआ, रैपुरा और पिपरई गांव वरिष्ठजनों के अलावा सरपंच श्रीराम और सचिव श्यामसुंदर शर्मा को भी थाने बुलाया।सरपंच ने बताया कि उसने शनिवार को ही गाय को गड्ढा खोदकर दफना दिया है। थाने में चली दो घंटे से ज्यादा देर की बैठक के बाद फैसला हुआ, कि हिंदू रीति रिवाज के साथ गाय के कंकाल का अंतिम संस्कार किया जाए, अस्थियां गंगाजी में विसर्जित करवाइ जाएँ । इसके अलावा सरपंच-सचिव पर 11000 रुपये का दण्ड भी किया गया, जिससे पूरे गांव की कन्याओं को भोज व दान किया जाएगा। मामला तूल पकड़ने के बाद महुआ थाना प्रभारी ऋषिकेश शर्मा गाय की मौत की घटना को झूठा बताते हुए कह रहे हैं, कि उनके पास थाने में कोई शिकायत लेकर नहीं आया।वहीं विजयगढ़ के उप सरपंच विपिन कटारे, ग्रामीण श्रीकांत शर्मा से लेकर जनपद सदस्य जयपाल तोमर कह रहे हैं कि थाना प्रभारी ने ही सत्यप्रकाश कटारे, बड़े लला जैसे कुछ वरिष्ठ लोगों से राय मशविरा करके यह फैसला सुनाया है
भुगतान के लिए बंद करते, फिर छोड़ देते गायों को
महुआ थाने में पहुंचे ग्रामीणों ने बताया, कि जिला पंचायत की ओर से गोशाला को भूसा व अन्य व्यवस्थाओं के लिए पैसा मिलता है। जब भी भुगतान का समय आता था, तब गांव में निराश्रित घूमने वाले मवेशियों को पकड़कर गोशाला में बंद कर दिया जाता था। इन मवेशियों के फोटो खींचे जाते और जब भुगतान हो जाता तो, इन मवेशियों को रात के समय बाहर कर दिया जाता था। गोशाला में शाम होते ही नशेड़ियों का जमावड़ा होता है, यह गोशाला में पड़ी शराब की खाली बाेतलों से पता लगता है।
इनका कहना हैं
ऐसा कुछ नहीं है। ऋषि बाबा रहते थे, उन्होंने सब गाय निकाल दी अब वह चले गए अहमदाबाद। यह कैसे हुआ नहीं पता। थाने में लोग गए हैं, उनसे भी मैं बात करता हूं।
श्यामसुंदर शर्मा सचिव, विजयगढ़ पंचायत
परसों शाम को हमने गोशाला का ताला खुलवाया तब उसमे गाय का कंकाल मिला। हम तो थाने में कार्रवाई के लिए गए थे, लेकिन थाना प्रभारी ने क्षेत्र के वरिष्ठ लोगों से चर्चा करने के बाद कहा गाय का अंतिम संस्कार किया जाए, गंगाजी में अस्थि विसर्जन व सरपंच-सचिव पर 11 हजार का जुर्माना हुआ, जिससे पूरे गांव की कन्याओं का भोज व दान किया जाएगा।
जयराम तोमर जनपद सदस्य, महुआ
गोशाला तो एक महीने से बंद बताई गई है, मैं खुद देखकर आया वहां कुछ नहीं मिला, हो सकता है यह पुरानी घटना हाे और इस मामले में कोई भी थाने में शिकायत लेकर नहीं आया। शिकायत नहीं आई तो कन्या भोज, अस्थि विसर्जन जैसी कोई बात नहीं हुई। यह सब झूठी अफवाह उड़ाई जा रही है।
ऋषिकेश शर्मा,थाना प्रभारी, महुआ