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Bandhavgarh Tiger Reserve :बच्चों को पीठ में बैठाकर सैर कराते नजर आई मादा भालू

Bandhavgarh Tiger Reserve : बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व से इस समय रोमांचित करने वाले वीडियो सामने आया है. वैसे तो बांधवगढ़ नेशनल पार्क (Bandhavgarh National Park)उद्यान दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों व पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। ...

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Sanjay Vishwakarma

Bandhavgarh Tiger Reserve : बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व से इस समय रोमांचित करने वाले वीडियो सामने आया है. वैसे तो बांधवगढ़ नेशनल पार्क (Bandhavgarh National Park)उद्यान दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों व पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। टाइगर देखने के उद्द्देस्य से पहुँचे पर्यटक जैव विविधता के ताना बाना को देख मंत्रमुग्ध हो जाते है, ऐसा ही एक नजारा बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (bandhavgarh tiger reserve )के मगधी कोर जोन (Magdhi Core  Zone)में देखने को मिला जब एक मादा भालू Sloth bear (स्‍लॉथ बेयर) अपने दो बच्चों को पीठ में बैठाए हुए जिप्सी ट्रैक पार करती हुई नजर आई.इस रोमांचित करने वाली दुर्लभ तस्वीर को पर्यटकों ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया.

देखिए वीडियो

माँ की पीठ पर बैठ सीखते हैं जंगल का नियम

आपने तो सुना ही होगा की अक्सर कहा जाता हैं कि  मां की ममता का वास्तव में कोई मोल नहीं है और अगर मुसीबत आ जाए तो सबसे पहले अपने बच्चे के साथ मां खड़ी मिलती है. जंगल के कानून से अंजान और चलने फिरने में असमर्थ मादा भालू के बच्चे उनकी जान की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस मादा भालू के कंधे पर रहती है.

09 माह तक मादा भालू की पीठ में सवार रहते हैं बच्चे

वही वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स बताते हैं की मादा भालू अपने बच्चों को छह से नौ महीने तक अपनी पीठ पर लेकर घूमती है। और जब भालू जंगल के नियमों से वाकिफ हो जाता हैं तब मादा भालू उसे अपने पैरों में खड़ा होने देती हैं  

Sloth bear भारत में Dancing Bear के रूप में थे प्रसिद्ध

स्लॉथ भालू दुनिया भर में पाई जाने वाली आठ भालू प्रजातियों में से एक है। उन्हें लंबे, झबरा गहरे भूरे या काले बाल, उनकी छाती पर एक सफेद ‘वी’ आकार और चार इंच लंबे नाखूनों से बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है, जिसका उपयोग वे टीले से दीमक और चींटियों को खोदने के लिए करते हैं। ये भालू पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में तटीय क्षेत्र, पश्चिमी घाट और हिमालय की तलहटी तक फैले हुए हैं। इन भालुओं को पहले भारत में ‘डांसिंग बियर’ प्रथा के तहत मनोरंजन के लिए पकड़ा जाता था।

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