मध्य प्रदेश सरकार की किसानों को लाभ का धंधा बताने वाली तमाम योजनाएं जमीनी स्तर पर कारगर नहीं है । छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लाक के नर्सला गांव के किसान ने शासन से परेशान होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। पूरा परिवार सदमे में है। परिजनों ने आत्महत्या का जिम्मेदार अधिकारियों को ठहराया है।
इसके पूर्व में भी यह किसान 2 बार जहर का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास कर चुका है। किसान ने सुसाइड नोट भी लिखा है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। दरअसल किसान नरेश पिता गुलाबचंद 60 साल पिछले चार पांच सालों से अतिक्रमण और सीमांकन को लेकर तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहा था। प्रशासन के तमाम अधिकारी किसान की इस समस्या को टालते रहे। उसे तारीख पर तारीख मिलती रही। इस दौरान किसान ने एक बार मोहखेड़ में और एक बार कलेक्टरेट में जहर का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया। इसके बाबजूद अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी। किसान फिर भी अधिकारियों के चक्कर लगाते रहा। आखिरकार परेशान होकर किसान नरेश ने जिस जगह सीमांकन होना था, उसी जगह तड़के सुबह पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों का कहना है कि अधिकारी पिता की समस्या का हल कर देते तो आज जीवित होते। अधिकारियों की वजह से ही मेरे पिता ने आत्महत्या की है। परिजनों ने कहा है ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए।
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मृतक के पुत्र संदीप ने बताया कि मेरे पिता सहित चार भाई है। जिनकी कुल 26 एकड़ खेती है। इसी खेती का चार साल पहले बटवारा हुआ है। इस बटवारे से वह असंतुष्ट था। जिसको लेकर मृतक ने आवेदन किया था। तहसील कार्यालय में प्रकरण विचाराधीन था। इस आवेदन का लेकर चार साल से लगातार चक्कर काट रहा था। आत्महत्या की यही मुख्य वजह बताई जा रही है।
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बताया जाता है कि किसान सम्पन्न परिवार से था। उसका बड़ा बेटा बैंक में मैनेजर है। छोटा बेटा आईआईटी कर रहा है। मझला बेटा मृतक के साथ खेती करता था। मृतक ने आत्महत्या करने के पहले सुसाइड नोट में तहसील अधिकारियों पर आरोप लगाए है। मेरे काम नहीं हुए है। इसलिए आत्महत्या कर रहा हूँ।
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