Citizenship Amendment Act : जारी हुआ नोटिफिकेशन देशभर में CAA लागू ये 10 सवाल देंगे आपके सवालों के जबाव
Citizenship Amendment Act : केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है.भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को जो लंबे समय से परेशान रहे थे उन्हें नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है.देश में लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार फिर एक मास्टर स्टोक चल दिया है,अब भारत के पड़ोसी देशों जैसे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को देश की नागरिकता मिलने में आसानी हो जाएगी। गौततलब है कि इस कानून को देश के दोनों सदनों में बीते 4 वर्ष पहले ही मंजूरी मिल गई थी। इस कानून में राष्ट्रपति ने भी अपनी मोहर लगा दी थी। लेकिन देश में हुए जबरदस्त विरोध के बाद में इसे ठंडे बस्ती में डाल दिया गया था।
आज हम 10 सवाल जवाब के माध्यम से जानेंगे कि क्या-क्या बदल जाएगा।
क्या है नागरिक संशोधन अधिनियम ? क्या है इसके मुख्य प्रावधान ?
साल 2019 में नागरिक संशोधन अधिनियम भारतीय संसद में पारित किया जा चुका है। इसके द्वारा नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया है।
इस संशोधन में भारत में पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 धर्म के शरणार्थी जिसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है जो 31 दिसंबर 2014 के पहले देश में आए हैं।
अगर सरल भाषा में बात करें तो पड़ोसी मुल्कों में मुस्लिम बाहुल्य देश में जो नागरिक प्रताड़ित होकर के भारत की ओर रूख किए हैं उन्हें भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
इन छह अल्पसंख्यक वर्गों को कोई भी कागजात देने की जरूरत नहीं पड़ेगी नागरिकता मिलने के साथ ही इन्हें देश के मौलिक अधिकारों में भी मान्यता मिल जाएगी। विवाद का मुख्य कार्य है कि इसमें से मुसलमान को बाहर रखा गया है।
ऐसा नहीं है की पहली बार नागरिकता में संशोधन किया गया है 1955 से अब तक देश में कुल छह बार संशोधन किया जा चुका है। एक जानकारी के अनुसार वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में संशोधन किया गया है। विशेष छः वर्गों के लोगों को देश में 11 साल गुजारने के बाद ही भारत की नागरिकता मिलती थी लेकिन अभिषेक संशोधित करके इसकी अवधि घटा करके 6 वर्ष कर दी गई है
CAA लागू करने के पीछे सरकार ने क्या तर्क दिया
मोदी सरकार का कहना है कि मुस्लिम बहुल देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए ऐसे नागरिक जो भारत पहुंचे हैं उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम के अनुसार भारत की नागरिकता दी जाएगी। हालांकि इस संशोधन का कड़ा विरोध हुआ है लेकिन गृहमंत्री का कहना है कि का किसी नागरिक की नागरिकता नहीं छीनेगा।
क्यों हो रहा है देश भर में विरोध
वर्ष 2019 में संसद के दोनों सदनों में CAA पारित होने के बाद ही पूरे देश भर में विरोध होना शुरू हो गया था। मुसलमान को इस सूची में शामिल न करना विवाद का प्रमुख कारण बना।
वहीं विपक्ष सहित विरोध करने वालों का कहना है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का यह उलझन है जिसमें सामान्य के अधिकार की बात कही जाती है।
CAA और NRC में क्या समानता है ?
एनआरसी का मुख्य उद्देश्य देश से घुसपतियों को पहचान कर उन्हें बाहर करना है एनआरसी वास्तव में नागरिकों का एक राष्ट्रीय रजिस्टर है चाहे वह किसी धर्म का हो ऐसे तमाम घुसपैठियों को बाहर करने का उद्देश्य एनआरसी के माध्यम से रखा गया है। वर्तमान में एनआरसी सिर्फ भारत के असम में ही लागू है।
भारतीय न्यायपालिका की अग्नि परीक्षा से गुजरा CAA
आलू उसको का कहना है कि भारतीय संविधान की अनुच्छेद 14 का मूल रूप से उलझन है बहुत सारी आजकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी जिसमें से कुछ याचिकाएं खारिज कर दी गई है जबकि कई आजकाएं अभी फैसले का इंतजार कर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की क्या है प्रतिक्रिया ?
भारत की नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर के अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसमें दो दलों में बांटा हुआ है कई देशों ने इसे भेदभावपूर्ण बताया है और कई देशों ने इस देश का आंतरिक मामला करार दिया है।
CAA पर क्या सोचना है भाजपा का
धर्ता से इस कानून को लागू करने की सोच रखने वाली 70 रोड पार्टी ने आलोचना को राजनीति से प्रेत बढ़कर के सिरे से खलीज कर दिया है।
क्यों बढ़ता गया संशोधन का विरोध
शुरुआती दौर पर प्रदर्शन छोटे थे लेकिन धीरे-धीरे गति पकड़ी गई और देश के सामाजिक संगठन और नागरिक संगठनों ने इसमें व्यापक भागीदारी दिखाते हुए इसे रद्द करने की मांग की।
क्यों रखा गया है मुसलमान को दूर
केंद्र सरकार का तर्क है कि मुस्लिम बाहुल्य देश में मुसलमान वहां पीड़ित नहीं होते हैं और ना ही उन्हें धार्मिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है सिर्फ गैर मुसलमान को प्रताड़ित किया जाता है यही कारण है कि मुसलमान को शामिल नहीं किया गया है।
गृह मंत्री का यह भी तर्क है कि इसमें मुसलमान को शामिल नहीं किया गया है लेकिन वह आवेदन कर सकते हैं जिस पर सरकार का फैसला अंतिम फैसला होगा।
भारत के मुसलमान पर क्या पड़ेगा असर
भारतीय नागरिकों को इस कानून से कोई असर नहीं पड़ेगा। संविधान के तहत भारत के नागरिकों को इसका अधिकार है और यह अधिनियम कोई या कोई कानून उनके अधिकार को नहीं छीन सकता।
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