भिण्ड।जी हां कलेक्टर भिण्ड के लिए सरकार के आदेशों की खिल्ली उड़ाना तो आम बात है अब कलेक्टर न्यायालय के आदेशों की भी सरेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।
ताजा मामला जिले की तहसील का है जहां तहसीलदा श्रीमती माला शर्मा को कुछ माह पूर्व मनमाने तरीके से आरोप लगाते हुए गोहद अटैच कर दिया अटैच कर दिया।
नियम विरुद्ध हुए अटैचमेंट के विरुद्ध श्रीमती माला शर्मा ने उच्च न्यायालय की शरणली,जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय न्यायालय ने श्रीमति शर्मा को स्थगन आदेश जारी कर दिया जिसमें सुनवाई जारी है और 14.10.2024 तक अभी स्टे ऑर्डर प्रभावी है।इस स्टे से कलेक्टर को इतना बुरा लगा कि उन्होंने तहसीलदार को कुछ ही समय में लगभग एक दर्जन नोटिस जारी कर दिए हालात यह होगये हैं कि एस.डी.एम और कलेक्टर अपने किसी चहेते से महिला तहसीलदार की फर्जी शिकायत करवाते हैं और नोटिस जारी करदेते हैं।ताजा मामला बाढ़ राहत से जुड़ा है।
दरअसल बीते सप्ताह अतिवर्षा के कारण आई बाढ़ का निरीक्षण करने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव मौ आए जहां निरीक्षण के दौरान तहसीलदार माला शर्मा और एस.डी.एम पराग जैन उपस्थित मिले बाबजूद इसके कलेक्टर ने अपनी व्यक्तिगत टसन के चलते लहार तहसीलदार उदय सिंह जाटव को बाढ़ आपदा के लिए मौ तहसीलदार का प्रभार देदिया। इतना ही नहीं कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और एस.डी.एम पराग जैन ने बगैर किसी आदेश के उदय सिंह जाटव की मौ तहसीलदार की आईडी बनादी। अब यहां सवाल यह पैदा होता है कि क्या न्यायलय का आदेश मोहन सरकार के अधिकारियों के लिए कोई मायने रखता है या नहीं?
वैसे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अपने कायों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं फिर चाहे उनके स्टेनो राज कुमार गुप्ता का अटैचमेंट हो या महिला बाल विकास विभाग में समूहों का अनुबंध करना उसके बाद रद्द करना फिर पुनः बहाल करना ये तो कुछ बो उदाहरण हैं जो सामने हैं। मामले पर तहसीलदार उदय सिंह जाटव का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने सवाल सुनते ही फोन काट दिया।