मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने देवेन्द्र चौरसिया के भाई अशोक भतीजे अनिमेष, प्रवीण एवं केतन को मगरोन थाना में मई 2020 में दर्ज्ज,एस सी एस टी एक्ट बिस्फोटक अधिनियम एवं हत्या के प्रयास के मामले में अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है।
मामले में आरोपी बनाए गए अशोक चौरसिया एवं अन्य तीनो के उच्च न्यायालय में अधिवक्ता अनिल खरे ने जानकारी देते हुए कहा विद्या रानी अहिरवार की रिपोर्ट पर मगरोंन पुलिस थाना में प्रवीण चौरसिया,अशोक चौरसिया एवं उनके भतीजे अनिमेष चौरसिया एवं केतन चौरसिया पर आईपीसी की धारा 307,323,34 एससी/एसटी की धारा 3(2) (बी)3(1)आर और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3,5 के तहत मामला दर्ज किया गया था,जिसके खिलाफ उच्चन्यायालय में प्राथमिकी खारिज करने याचिका लगाई गई थी जिसमे पुलिस पर गिरफतरी से रोक का आदेश था जो चार साल तक कायम रहा,इसी बीच 11 दिसम्बर को न्यायालय ने यह याचिका खारिज कर दी तो आरोपी अशोक अनिमेष प्रवीण केतन चौरसिया की ओर से गिरफ्तारी पूर्व हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली जिसमे माननीय न्यायालय ने 20 दिसंबर 2024 को मामले की सुनवाई करते हुए एससी एसटी एक्ट पर अगली सुनवाई तक स्थगन आदेश दिया।
एवं सरकार को नोटिस जारी कर जबाब के लिए चार हफ़्तों के भीतर तलब किया है। जिसकी अगली सुनवाई माननीय सर्वोच्च उच्च न्यायालय में 17 जनवरी 2025 को संभावित है। वही इसी दरम्यान अपराध क्रमांक 134/20 में थाना मगरोंन में दर्ज अपराध में आरोपी गणों द्वारा पहले जिला न्यायालय इसके उपरांत उच्च न्यायालय जबलपुर में अग्रिम जमानत के लिए अपील की जिस पर उच्चन्यायालय जबलपुर द्वारा बुधवार को मामले की सुनवाई करते न्यायमूर्ति विशाल धगट ने दर्ज मामले की बिबेचना को त्रुटिपूर्ण बताते हुए जांच अधिकारी पर गंभीर टिप्पड़ी करते हुए कहा कि मामला सुनने में ही बनाया हुआ लगता है,हथगोला फेंकने के साथ फायर हुआ लेकिन पीड़ित को मामूली ही चोट लगी ,जिससे मामला हास्यास्पद लगता है उक्त टिप्पड़ी के साथ न्यायालय ने सीनियर एडवोकेट अनिल खरे के तर्कों से सहमत होते हुए सभी को जमानत दे दी। कोर्ट ने यह भी टिप्पड़ी कर कहा कि केस डायरी के अवलोकन में पता चला कि पीड़ित कमल को केवल साधरण चोटें आईं हैं जबकि पीड़ित की मां 302 के मामले में गवाह है। विस्फोट के स्थान पर कोई छर्रे नहीं मिलने, गोली लगने का घाव भी सतही था अपीलकर्ता का कोई अपराधिक इतिहास नहीं होने से जमानत अर्जी मंजूर की गई है।