MP News : वर्ष में दो बार रावण के पुतला जलाने की परंपरा वाला रायसेन नगर प्रदेश का पहला ऐसा नगर है, दरअसल रायसेन में दशहरें के बाद यहां लगने वाले वार्षिक रामलीला मेले में रामलीला के मैदानी मंचन के तहत रावण वध के बाद दशहरे की ही तरह 40 फिट उंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। इस दौरान पूरा नगर इस आयोजन में शामिल होता। पिछले सौ सालो से आयोजित होने वाले प्रसिद्ध रामलीला मेलें का आज एक महीने के बाद रावण दहन के बाद समापन किया गया है। इस अवसर पर रावण वध के बाद शानदार आतिशबाजी के बाद रावण के पुतले का दहन किया गया। रायसेन में लगने वाले इस प्रसिद्ध रामलीला मेले में सामंप्रदायिक एकता का रूप भी देखने को मिलता है। यहां हिन्दु मुस्लिम वर्ग के सभी लोग मेले में आकर इसका आनंद उठाते है।
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रायसेन के प्रसिद्ध रामलीला मेला आसपास के क्षेत्र में मैदानी रामलीला के मंचन के लिए जाना जाता है। इस रामलीला में मंचन करने वाले सभी कलाकार स्थानीय होते है। जो अपनी कला का प्रदर्शन करने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते है। इस प्रकार का आयोजन प्रदेश भर में केवल रायसेन और विदिशा दो ही जगह होता है। नबाबी शासन काल से शुरू हुए इस रामलीला मेले को सौ साल से ज्यादा हो चुके है। रामलीला के मैदानी मंचन को लेकर इस मेले में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो से बडी संख्या में दर्शक रायसेन आते है। भोपाल नबाब हमीदुल्ला ने ही इस मेले के लिए यहां श्री रामलीला मेला समिति को यह जमीन उपलब्ध कराई थी। इस मेले का तभी से सामंप्रदायिक सद्भाव के लिए भी जाना जाता है। महीने भर चलने वाले इस आयोजन में सभी वर्ग और सांमप्रदाय के लोग बढ चढकर हिस्सा लेते है।