पुलिस ने सात बच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी और दवा कंपनी श्रेयन फार्मास्यूटिकल पर मामला दर्ज कर डॉक्टर को गिरफ्तार किया
अभी तक की जांच में कोल्ड्रिफ सिरप को मिलावटी पाया गया बाकी दोनों सीरप के नमूने जांच में सही पाए गए
सरकारी डॉक्टर निजी क्लिनिक में कर रहे थे इलाज
परासिया सिविल अस्पताल मैं पदस्थ डॉक्टर प्रवीन सोनी 15 दिन के अवकाश पर थे और अपने निजी क्लीनिक में बच्चों का इलाज कर रहे थे और पत्नी के नाम पर दवा दुकान का संचालन हो रहा था
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छिन्दवाड़ा: छिंदवाड़ा के परासिया विकासखंड में किडनी इन्फेक्शन से 10 बच्चों की मौत के मामले में पुलिस ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया. 10 बच्चों में से 7 बच्चों का इलाज एक सरकारी डॉक्टर के निजी क्लीनिक में किया गया था और सभी को यह कफ सिरप दिया गया था. पुलिस ने बीएस की गंभीर धारा में मामला दर्ज किया है जिसमें 10 साल तक की सजा है
परासिया के सिविल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीन सोनी 15 दिन के अवकाश पर थे और और अपने निजी क्लीनिक में बच्चों का इलाज कर रहे थे. किडनी इन्फेक्शन से जिन 10 बच्चों की मौत हुई है उनमें से 7 बच्चों का इलाज डॉक्टर प्रवीन सोनी के क्लीनिक में हुआ था. और सभी को कोल्डरिफ और नेस्ट्रो डीएस दवाइयां दी गई थीं. डॉक्टर के क्लीनिक के बाजू में ही उनकी पत्नी “अपना मेडिकल” के नाम से मेडिकल स्टोर चलाती हैं, जहां से दवाइयां बेची गई थीं.
परासिया एसडीएम शुभम कुमार यादव ने बताया है कि 10 में से 7 बच्चों का इलाज डॉक्टर प्रवीन सोनी के निजी क्लीनिक में किया गया था. वह काफी अनुभवी शिशु रोग विशेषज्ञ हैं ज्यादातर लोग उनके पास इलाज करने जाते हैं.
डॉक्टर प्रवीन सोनी का कहना है कि वह कहीं बाहर जाने वाले थे लेकिन अचानक उनका प्रोग्राम रद्द हो गया. मौसमी बीमारी के मरीज उनके पास आ रहे थे तो वे उनका इलाज कर रहे थे. उनके पास हर दिन 100 से 200 बच्चे इलाज के लिए आते हैं. जिनमें से अधिकतर को वे यही सिरप लिख रहे थे.
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छिन्दवाड़ा ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा ने बताया “दो सिरप के स्टॉक को बैन किया गया है, जो जबलपुर के कटारिया फार्मा से छिंदवाड़ा के तीन फार्मा की दुकानों को सप्लाई किया गया था. coldrif सिरप की 660 बोतल दवाइयां के स्टॉक में से 594 छिंदवाड़ा की तीन फार्मा दुकानों को भेजा गया था. छिंदवाड़ा की तीनों फार्मा के पास से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जब्त की गई है.
वहीं बच्चों का निजी क्लीनिक में इलाज करने वाले डॉक्टर प्रवीन सोनी ने बताया कि वे करीब 40 सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं. जिसमें से 15 सालों से सर्दी, जुकाम और बुखार के लिए बच्चों को लगातार ये दवाइयां देते आ रहे हैं. लेकिन ऐसा मामला कभी नहीं आया है. अगर दवाई में कोई मिलावट है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि आखिर इन दवाइयां में क्या गड़बड़ी है.