पंडित धीरेंद्र शास्त्री की बसोर समाज को लेकर बयान बाजी के बाद उनकी मुस्कीले बढ़ती जा रही है। बसोर समाज को लेकर किए गए बयानबाजी के खिलाफ रैली निकालकर ज्ञापन सौपने के बाद अमित बंसकर के द्वारा कहा गया कि अपने संवाद के बीच उन्होंने कहा कि बसोर समझ रखे हो क्या इससे पूरा समाज आहत है। हम आज उमरिया में एसपी उमरिया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर उनके ऊपर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग कर रहे है।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री यदि अपनी गलत बयानबाजी को लेकर माफी नहीं मानते हैं यह आंदोलन हमारा आने वाले समय में बड़ा ही उग्र रूप धारण करेगा।
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क्या लिखा है ज्ञापन में
तथाकथित बाबा धरिन्द्र शास्त्री द्वारा सार्वजनिक रूप से बसोर जाति का अपमानित किए जाने के कारण उन पर एफ. आई. आर. दर्ज की जाए तथा वे सार्वजनिक रूप से अपने शब्द वापस नहीं लेते हैं तो इनके द्वारा बसोर जाति समाज को अपमानित किए जाने और सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने बावत!
तथाकथित बाबा धरिन्द्र शास्त्री द्वारा एक सभा मे सार्वजनिक तौर पर वायरल वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि बाबा धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा बसोर जाति समाज को अपमानित किया जा रहा है। भारतीय संविधान के उल्लेखित है कि सार्वजनिक सभा/स्थान पर सार्वजनिक तौर पर खुलेआम किसी भी जाति के व्यक्ति, समाज को अपमानित कर सार्वजनिक भावनाओं को नहीं भड़काया जा सकता लेकिन तथाकथित बाबा धरिन्द्र शास्त्री सामाजिक मर्यादाओं के बाहर जा कर सार्वजनिक तौर पर बसोर’ जाति का अपमान कर रहे हैं। सरेआम तुच्छा, गुण्डा बोलकर अपमानित किया जाता है, “काय हम बसोर है इनकी भाव-भांगिमा एवं बोल ये दर्शाते है कि बसोर समाज छोटी जाति के हैं और इससे समाज में यह संदेश जाता है कि बसोर जाति छोटी जाति है और इनके बोलने का आशय सीधे तौर पर जातिगत भेदभाव एवं छोटे बड़े कि जातिगत भावनाओं को आहत किया गया है। जिससे बसोर जाति समाज में इनके प्रति काफी आक्रोश है ये तथाकथित चमत्कार और पर्ची के नाम पर किसी भी जाति समज को छोटा दिखाने का घिनौना कृत्य कर रहे हैं।
श्री मान आपसे अनुरोध है कि चमत्कार के नाम पर सार्वजनिक तौर पर लोगों के बीच जातिगत भेदभाव को दर्शान वाले, सामाजिक भावनाओं को आहत करने वाले तथाकथित बाबा धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ एफ आई आर (FIR) की जावे, तथा तथाकथित बाबा धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर धाम, सार्वजनिक तौर पर अपने शब्द वापिस लेवे। यदि इनके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो बसोर समाज के लोग इनके कथास्थल पर अपने शब्द वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे जिसके लिए ये स्वयं उत्तरदायी होंगे…