- भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद सिंध प्रांत से आए सुंदरदास सचदेव एवं गिरधारीलाल हेमनानी को कलेक्टर ने शाल श्रीफल से किया सम्मानित
उमरिया – विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कलेक्टर सभागार उमरिया में मनाया गयां। इस अवसर पर कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन ने विभाजन विभीषिका में शहादत देने वाले लोगो के प्रति श्रध्दांजलि व्यक्त की। उन्होने कहा कि विभाजन सदैव ही कष्टकारक होते है । भारत पाकिस्तान के विभाजन के समय सिंध प्रांत से आए सिंधी समाज के लोगों को काफी कठिनाईयां झेलनी पडी । उन्होने अपने वतन , घर, संपत्ति परिवार को छोड़कर भारत देश को अपनाया । यह देश के लिए गौरव की बात है । सिंधी समाज के लोगो ने अपनी मेहनत एवं लगन से पुनः अपने आप को पुर्नस्थापित कर लिया है। विभाजन का कष्ट झेलने वाले तथा विभाजन विभीषिका के दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले लोगो के प्रति जिला प्रशासन की ओर से श्रध्दांजलि अर्पित करता हूं। इस अवसर पर श्री सुंदरदास सचदेव ने बताया कि जब वे तीन वर्ष के थे तब अपने माता पिता के साथ भारत आए थे । पहली बार उन्होने दतिया में शरण ली इसके बाद उमरिया मे ठिकाना बनाया ।
उन्होने बताया कि उन्होने कुली के काम से लेकर ट्रेनो से बिस्कुट बेचने ,फेरी लगाने जैसे काम भी किए । इसी तरह गिरधारीलाल हेमनानी ने बताया कि जब वे वर्ष 1947 में 6 वर्ष की उम्र में अपने माता पिता तीन भाईयों के साथ सिंध प्रांत से भारत के लिए बैलगाडी के माध्यम से रवाना हुए थे। करांची से जल जहाज से भारत आए । इसी तरह 1947 में भारत आने वाले लोगों में वर्तमान में जीवित व्यक्तियो मे भगवानदास छतवानी , भागचंद्र सचदेव शामिल है ।
कार्यक्रम में सिंधी समाज के अध्यक्ष शंभूलाल खट्टर ने अपने दादा दादी , माता पिता से सुनी हुई कठिनाईयों के संबंध में विचार व्यक्त किए । कार्यक्रम को अग्रणी बैंक प्रबंधक सेवा राम सोनवानी , भूपेन्द्र त्रिपाठी तथा पत्रकार अरूण त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में सीईओ जिला पंचायत अभय सिंह , अपर कलेक्टर शिवगोविन्द सिंह मरकाम, डिप्टी कलेक्टर मीनांक्षी इंगले, लोक सेवा प्रबंधक शुभांगी मित्तल, जिला खनिज अधिकारी फरहद जहां, उप पंजीयक आषीष श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
भारत का विभाजन अपने सबसे बुनियादी रूप में अभूतपूर्व मानव विस्थापन और जबरन पलायन की कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें लाखों लोगों ने ऐसे वातावरण में नए घर तलाशे जो उनके लिए अजनबी और प्रतिरोधी थे। आस्था और धर्म पर आधारित हिंसक विभाजन की कहानी होने के साथ-साथ यह एक ऐसी कहानी भी है कि कैसे एक जीवन शैली और सह अस्तित्व सदियों का अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गए।
लगभग 6 मिलियन गैर-मुस्लिम बाद में कहलाये पश्चिमी पाकिस्तान से निकले गए और अन्य 6.5 मिलियन पंजाब, दिल्ली आदि के भारतीय हिस्से से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए। भारत के पूर्वी हिस्से में अनुमानत 2 मिलियन गैर मुस्लिम पूर्वी बंगाल पाकिस्तान से निकले गए और बाद में 1950 में अन्य 2 मिलियन गैर मुस्लिम पश्चिम (भारत) बंगाल में आए। अनुमान है कि लगभग एक मिलियन मुस्लिम पश्चिम बंगाल चले गए थे। मारे गए लोगों का अनुमान 500.000 से 1.000.000 से अधिक है। आम तौर पर स्वीकृत 500.0000 है ।
भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के अनुसार एवं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के मार्गदर्शन में कलेक्टर सभागार में जिला अग्रणी बैंक भारतीय स्टेट बैंक उमरिया के द्वारा “विभाजन विभीषिका” स्मृति दिवस के अवसर पर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । प्रदर्शनी का गरिमामय उद्घाटन कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन व्दारा किया गया । इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न विभागो के अधिकारी गणमान्य नागरिकों,बहनों ,महिलाओं द्वारा प्रदर्शित विभाजन के छाया चित्रों के बैनरों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया । कार्यक्रम को मुख्य रूप से अंत में कार्यक्रम की सफलता के प्रति एलडीएम सेवक राम सोनवानी के द्वारा आभार व्यक्त किया गया।