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बाघ जिसे उतरा था मौत के घाट उसी के घर के बाहर डाल दिया डेरा

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बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के पतौर वनपरिक्षेत्र में दो दिन पहले बाघ के हमले से कम्मा यादव गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिन्हें उमरिया जिला चिकित्सालय में प्राथमिक ईलाज के बाद जबलपुर रेफर किया गया था लेकिन कम्मा यादव की जबलपुर पहुचने से पहले ही दुखद मौत हो गई थी,वही परिजनों ने प्रशासन की समझाइस के बाद मृतक का अंतिम संस्कार भी कर दिया था।

लेकिन बीते दो दिनों से कम्मा यादव के घर के आसपास वही बाघ मंडरा रहा है, और वही डेरा डाल दिया है,जिसको देखते हुए बांधवगढ़ प्रबंधन अलर्ट मॉड पर है और आज पूरी रात उसकी तकवारी कर रहा है। सुबह होने का इन्तेजार कर रहा है। बड़ा सवाल यह उठता है कि बाघ उसी जगह ही क्यों आकर डेरा डाले हुए है। इस मामले में जब पड़ताल की गई तो कई चौकाने वाले संभावित खुलासे हुए है।जिसे आप आगे पढेंगे

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पहला संभावित कारण

दरअसल यह तो आपको पता ही होगा कि बाघ कम्मा यादव के घर से लगी हुई गौशाला में बंधे हुए चौपाए को अपना निशाना बनाए हुआ था और उस शिकार को कर पाता तब तक मृतक कम्मा यादव आ गए और बाघ ने शिकार छोड़कर उन्हें पकड़ लिया जिन्हें 7-8 लोगो ने बड़ी कड़ी मस्कत के बाद बाघ के कब्जे से छुड़ाया था। लेकिन बाघ का शिकार पूरा नही हों पाया था और वह भूखा ही रह गया इसलिए 21 सितंबर के साथ साथ 20 सितंबर को भी बाघ अपना शिकार ढूढ़ने के लिए मौके पर पहुँचा था।

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दूसरा संभावित कारण

वैसे तो आपके मन मे भी बाघ की एक अलग ही छवि बन गई होगी लेकिन आगे पढ़ने के बाद आपका नज़रिया बाघ के प्रति थोड़ा बदल जाएगा। चूंकि बांधवगढ़ प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी मौके पर मौजूद है और बाघ की सतत निगरानी कर रहे है अभी अभी मिली जानकारी के अनुसार बाघ का एक पैर ठीक से काम नही कर रहा है,इस कारण शिकार करने में बाघ सक्षम नही है और गौशाला में बंधे सॉफ्ट टारगेट को अपना शिकार बना रहा है।

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प्रबन्धन ने दिया बाघ को भोजन

भूखा बाघ और अग्रेसिव न हो इसलिए उसे उसके सामने एक बकरा डाला गया है जिसे बड़ी तन्मयता के साथ बाघ खा रहा है। सुबह का इन्तेजार किया जा रहा है सुबह होते ही बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के वन्यजीव चिकित्सक मौके पर पहुँच कर बाघ के स्वास्थ्य की पड़ताल करेगे उसके बाद प्रबंधन अगला कदम उठाएगा।

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Morning Update

सुबह तड़के मिली जानकारी के अनुसार बाघ जो कि मृतक के घर के पास ही लैंटाना में छिपा बैठा है उसे रातभर चारो दिशाओ से प्रबंधन ने घेर रखा था,मौका पाकर बाघ वहां से भागने की फिराक में था लेकिन मैदानी अमले ने रात में ही बाघ के मांशूबों में पानी फेर दिया था। कुछ समय बाद टाइगर का रेस्क्यू किया जाएगा।

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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