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बोमा कैप्चरिंग तकनीकी के जरिये कान्हा टाइगर रिजर्व से नोरादेही भेजे गए 22 चीतल

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बोमा कैप्चरिंग तकनीकी के जरिये कान्हा टाइगर रिजर्व से नोरादेही भेजे गए 22 चीतल
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मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व से 22 चीतलों का दल रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व नौरादेही भेज गया। इन्हे बोमा के जरिया विशेष वाहन में लोड़ कर नौरादेही पार्क के लिए रवाना किया गया। बता दें कि जिन क्षेत्रों में चीतल या शाकाहारी जानवरों की संख्या ज्यादा है वहां संसाधनों में दबाव कम करने और जहां इनकी संख्या कम है वहां उनकी संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से पार्क के अंदर और अन्य पार्कों में चीतलों को स्थानांतरित किया जाता है।

तीन स्थानों में 500 – 500 चीतल भेजने की है योजना

कान्हा टाइगर रिजर्व से 500 – 500 चीतलों को नोरादेही, खिमनी सेंचरी देवास और गांधी सागर सेंचरी भेजे जाने की योजना है। इसी कड़ी में 22 चीतल नोरादेही रवाना किये गए है। इसके साथ ही पिछले तीन महीने के दौरान करीब 116 चीतलों को कान्हा से नौरादेही और 48 चीतलों को गांधीसागर भेजा जा चुका है।

क्या है प्रक्रिया

चीतल की सिफ्टिंग के लिए कान्हा पार्क प्रबंधन ने साउथ अफ्रीका के पार्कों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के आधार पर अपनी एक पद्धति विकसित की है। इसमें फनल के आकर का स्ट्रक्चर “बोमा” बनाया जाता है। बोमा के एक मुहाने से चीतलों को अंदर पहुंचाया जाता है और दूसरे मुहाने पर सिफ्टिंग के लिए खासतौर पर बनाया गया वाहन होता है। बोमा के जरिये चीतलों को वाहन पर लोड कर निर्धारित स्थान पर पहुंचा दिया जाता है।

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