Bandhavgarh News : विश्वप्रसिद्ध बाँघवगढ़ टाईगर रिज़र्व में आए दिन बाघ की साइटिंग से एक ओर जहां पर्यटक रोमांचित हो रहे है।बांधवगढ़ में बाघों के अधिक घनत्व के कारणों से कोई भी पर्यटक बाँघवगढ़ से निराश होकर नही जाता है।यही कारण है कि बांधवगढ़ देसी और विदेशी सैलानियों के बीच खूब लोकप्रिय है।
ताला कोर में दिखा सम्राट
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बहुत ही खूबसूरत कोर ज़ोन यानी ताला कोर ज़ोन में इन दिनों बाघ सम्राट की साइटिंग चर्चा का विषय बनी हुई है।बाघ सम्राट की बाघ का लिटर्स है इस बात की जानकारी तो नही लग पा रही है,लेकिन इसे सम्राट नाम दिया गया है,बीते वर्ष से यह ताला कोर ज़ोन में अचानक दिखने लगा है।हालांकि वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते हैं कि यह बाघ ओल्ड चक्रधरा बाघिन की फैमिली का हो सकता है।कुछ लोगो कहा कहना है कि अपने शुरुआती समय यानी 2 वर्ष पूरा होने के पूर्व यह बाघ अपनी सिद्धबाबा और जमुनिहा क्षेत्र में देखा गया है।
फिर क्यों लगातार नही दिखा सम्राट
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते हैं कि टाईगर रिज़र्व के कोर ज़ोन में सर्वाइवल को लेकर काफी प्रेशर रहता है।ऐसे दौर में लगभग 2 साल के बाद जब बाघ अपनी माँ का साथ छोड़ देता है,तो वह बफर क्षेत्र की ओर रुख कर लेता हैं।और जैसे ही वह अपनी प्राइम एज में प्रवेश करता है, कोर ज़ोन की ओर बढ़ने लगता है।
तो क्या बाघ सम्राट बनेगा बाँघवगढ़ का किंग
बताया जा रहा है कि बाघ सम्राट की टेरिटरी ताला कोर ज़ोन के नार्थ ईस्ट क्षेत्र के बनबेही,घोड़ाडेमन,सीता मंडप और अंधियारी झिरिया क्षेत्र में बताई जा रही है।बाघ सम्राट की अधिकतर टेरिटरी दमना क्षेत्र की बाउंड्री लाइन में है।4-5 वर्ष का यह बाघ आने वाले में अपने टेरिटोरियल एरिया में वृद्धि करेगा।
तो क्या होगा टेरिटोरियल संघर्ष
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते है कि बाघ सम्राट जिस क्षेत्र में पाया जा रहा है,उस क्षेत्र में बाघ जमहोल भी देखा जाता है,ऐसे में अगर क्षेत्र में वृद्धि को लेकर दोनों बाघों के बीच भविष्य में होने वाली टेरिटोरियल फाइट से नही नकारा जा सकता है।
बाघ सम्राट कर रहा कुनबे में वृद्धि
बताया तो यह भी जा रहा है कि उसी टेरिटोरियल क्षेत्र में बाघिन डॉटी के साथ 4 -5 माह के दो बाघ शावकों के पगमार्क देखे गए है।हालांकि ये शावक अभी पर्यटकों की नजर में नहीं आए हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ये दोनों बाघ शावक बाघ सम्राट की ही संतान है।
बाघ सम्राट का क्यों पड़ा यह नाम
दरअसल बाँघवगढ़ में हर बाघ का एक विभागीय नाम है लेकिन वन्य जीव प्रेमियों के बीच में हर बात एक स्थानीय नाम के साथ में खूब प्रसिद्ध होते हैं। बाघ सम्राट का नामकरण के पीछे एक बड़ी कहानी है।जिस कारण इसका नाम बाघ सम्राट पड़ा है।
क्या थी वो कहानी
दरअसल इसी क्षेत्र में ओल्ड बनबेही बाघिन ने वर्ष 2014-15 में दो बाघ शावकों को जन्म दिया था।लेकिन एक बाघ शावक कमजोर होने के कारण वह सरवाइवल नही कर पाया।बाघिन ओल्ड बनबेही के पास जब एक बाघ शावक बचा तो बाघिन ओल्ड बनबेही उसके साथ खूब दुलार करती थी। बाघिन ओल्ड बनबेही में कभी अपने बाघ शावक को अकेलापन महसूस ही नही होने दिया,वह उसके साथ बच्चो की भांति खेलती हुई अक्सर पर्यटकों के बीच भी देखी जाती थी।अपनी माँ की इकलौती संतान ने जब होश संभाला तब बाँघवगढ़ टाईगर रिज़र्व के एक सीनियर नेचुरिलिस्ट ने उसे सम्राट नाम दिया।
महाराजा कोठी में घुस गया था ओल्ड सम्राट
बाघ सम्राट वर्ष 2016 में खूब सुर्खियों में तब आया था जब वह महाराजा कोठी रिसार्ट में घुस गया।वहां उसने 3-4 बकरियों का शिकार भी किया।बताया जा रहा है रिसार्ट प्रबंधन को भी यह नही पाता चल पाया था कि बाघ कबसे घुसा हुआ है।जानकारी लगने के बाद बाघ सम्राट को मगधी कोर जोन के डीप फॉरेस्ट एरिया में छोड़ दिया गया।तबसे वह पर्यटन क्षेत्र में नही दिखाई दिया।
ओल्ड सम्राट के क्षेत्र में आया यह बाघ
लगभग 9 -10 वर्षों के बाद में ताला कोर ज़ोन के उसी टेरिटोरियल क्षेत्र में इस यंग बाघ की आमद ने वन्यजीव प्रेमियों के बीच ओल्ड सम्राट की यादें ताजा कर दी है।इसी कारण इस बाघ का नाम सम्राट रखा गया।














