यह फोटो काठगोदाम रेलवे स्टेशन की है. यहां तक ट्रेन से आते थे और उसके बाद तांगा से नैनीताल का सफ़र होता पर सब कोई नैनीताल जाता भी नहीं था .वह खास लोगों की जगह थी .यह फोटो करीब अस्सी साल पहले की है तब यह अवध तिरहुत रेलवे का हिस्सा था.
आजादी से पहले रेल निजी हाथों में ही थी पर इसे कोई व्यवसायी नहीं बल्कि राजा महाराजा और नवाब ने अपने लिए चलाना शुरू किया था.
तिरहुत रेलवे उनमें से एक थी जिसे दरभंगा स्टेट चला रहा थी. 1874 में दरभंगा के महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह ने तिरहुत रेलवे की शुरूआत की थी. तिरहुत रेलवे कंपनी का सैलून मशहूर था .इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णनन, मदन मोहन मालवीय से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने सफर किया था.
तिरहुत रेलवे कंपनी के पास बड़ी लाइन और छोटी लाइन के लिए कुल दो सैलून थे.इसमें चार डिब्बे थे. पहला डिब्बा बैठकखाना और बेडरूम था, दूसरा डिब्बा स्टॉफ़ के लिए, तीसरा डिब्बा पैंट्री और चौथा डिब्बा अतिथियों के लिए होता था.