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10 हाथियों के मौत के मामले में CM का एक्शन 2 अधिकारी निलंबित क्या मोदी मिलेट्स मिशन पर MP में लग जाएगा विराम ?

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व में  3 दिनों के भीतर सिलसिलेवार एक के बाद एक हुई 10 जंगली हाथियों की मौत के मामले के विपक्ष के द्वारा डॉ मोहन यादव सरकार को कटघरे में खड़ा करने के ...

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Sanjay Vishwakarma

10 हाथियों के मौत के मामले में CM का एक्शन 2 अधिकारी निलंबित क्या मोदी मिलेट्स मिशन को MP में लग जाएगा विराम 

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व में  3 दिनों के भीतर सिलसिलेवार एक के बाद एक हुई 10 जंगली हाथियों की मौत के मामले के विपक्ष के द्वारा डॉ मोहन यादव सरकार को कटघरे में खड़ा करने के बाद सीएम डॉ मोहन यादव ने आनन फानन में वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व भेजा।जिस जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर हाल ही में फील्ड डायरेक्टर के रूप पदस्थ हुए गौरव चौधरी (आईएफएस 2010) और बाँधवगढ़ में तीन एरिया पतौर कोर,पनपथा बफर और पनपथा कोर के एसडीओ फतेह सिंह निनामा को निलबिंत कर दिया गया है।

अभी है रिपोर्ट का इंतज़ार

हालांकि अभी IVRI बरेली,SWFH लैब्स की रिपोर्ट आने में समय लग रहा है। लेकिन कांग्रेस के विरोध और दबाब को देखते हुए अभी फौरी तौर पर 2 अधिकारियों को निलंबित कर माहौल को शांत करने का काम किया गया है।ऐसा राजनैतिक जानकारों का मानना है।

यक्ष प्रश्न कैसे हुई हाथियों की मौत

2 अधिकारियों पर गाज गिरने के बाद भी अभी यह यक्ष प्रश्न सलखनिया गाँव के मनोज सिंह , पिंकी सिंह सहित पूरे ग्रामवासियों के साथ-साथ देश विदेश के वन्यजीव प्रेमियों के दिमाग मे कौंध रहा है कि आखिर 10 जंगली हाथियों की मौत कैसे और क्यों हो गई।WCCB दिल्ली की टीम अपने इंटेलिजेंस के आधार पर जी जान लगाकर जांच में जुटी हुई है। देश की जिन-जिन लैब्स से रिपोर्ट की दरकार है उन रिपोर्ट्स के आधार पर आपको मान लेना होगा कि हाथियों की मौत कैसे हुई है।

3 दलों की रिपोर्ट आने के पहले का दावा

29 अक्टूबर से शुरू हुई इस घटना के बाद से ही STSF, WCCB और 5 सदस्यीय SIT जांच में जुटी है लेकिन इन एजेंसियों की जांच से पहले ही वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार के नेतृत्व में बना जांच दल किसी मानवीय साजिस,कीटनाशक का उपयोग आदि विषयों को सिरे से नकार दिया गया।

सिर्फ गाव वाले ही क्यों शंका के घेरे में

मिली जानकारी के अनुसार कई ग्रामीणों से पूछताछ जारी है लेकिन जंगली हाथियों के आतंक से सिर्फ किसान की खेती भर नष्ट नही हो रही कई रिसार्ट के मालिक भी इन जंगली हाथियों के आतंक से परेशान हैं। लेकिन बाँधवगढ़ में रसूखदार रिसार्ट मालिकों तक पहुँच पाना जांच समितियों के लिए नामुमकिन सा लगता है।यही कारण है कि आज तक यह खबर नही आई कि घटनास्थल से लगे किसी रिसार्ट से कोई औपचारिक पूछताछ की गई हो।

हाथी टास्क फोर्स स्वागत योग्य कदम

सीएम डॉ मोहन यादव ने आज हाथी टास्क फोर्स के गठन का ऐलान किया है जो कि स्वागत योग्य कदम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश में आने वाले समय मे हाथियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होने वाली है। बात अगर आकड़ो की करें तो वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ  इंडिया जो कि हर 5 साल में हाथियों की जनगणना को कंडक्ट करता है उसकी रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में वर्ष 2012 तक जंगलों में हाथी थे ही नही लेकिन वर्ष 2017 में इनकी संख्या 7 हुई वही वर्ष 2022-23 में इनकी संख्या 97 हो गई।हाथियों की गणना के ताजा आंकड़े आने वाले 2025 के जून माह तक सार्वजनिक किए जाएंगे ऐसा पर्यावरण मंत्रालय का कहना है। लेकिन सेंट्रल और ईस्टर्न घाट में वेस्ट बंगाल,झारखंड,ओडिसा में तेजी से हो रहे डिफ़ॉरेस्टसन और अन्य कारणों के कारण हाथियों का माइग्रेशन वेस्ट बंगाल,झारखंड और ओडिसा से सीधे छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बाँधवगढ़, संजय दुबरी और कान्हा टाईगर रिज़र्व में हो रहा है।मध्यप्रदेश में अगर हाथियों के आमद की बात की जाए तो अप्रत्याशित है।आने वाले गणना के आंकड़े बताएगें की मध्यप्रदेश में हाथियों की वास्तविक संख्या क्या है।

हाथी जंगल का इंजीनियर 

पढ़कर आपको अजीब जरूर लग रहा होगा, लेकिन पारिस्थितिक तंत्र के इंजीनियर के रूप में हाथियों को जाना जाता है। घने जंगलों में जब हाथियों का दल गुजरता है तो वहां से रास्ते बनते हैं। इन रास्तों का उपयोग छोटे वन्य जीव करते हैं। जंगल में चलते हुए हाथी कुछ पेड़ों को धक्का देकर उखाड़ देते हैं। इससे भी जंगलों का नया स्वरूप तैयार होता है। हाथी जब वाटर बॉडीज में लौटने का काम करते हैं उसे तलछट हटाने में मदद मिलती है। पेड़ों के बीच में खेलने का काम भी हाथी करते हैं। यदि बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व सहित मध्य प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में इन हाथियों की आमद बढ़ती है तो इससे अन्य वध जीवन को एक सुंदर जंगल मिलने वाला है। ना कि अन्य वन्य जीवों को इन हाथियों से कोई समस्या पैदा होने वाली है।

हाथी की मौत कोदो के नाम

सलखनिया निवासी रमदमन सिंह कहते है कि कोदो को हाथियों की मौत का कारण बताया गया है।हम चाहते है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो क्योंकि कोदो हमारी सनातनी फसल है।हमारे पूर्वज कोदो की खेती करते आ रहे है।उस खेत मे हाथियों के अलावा हमारे चौपाए।भी उसे खाते है लेकिन उन्हें कुछ नही हुआ।जिस खेत मे हाथियों के द्वारा कोदो की फसल खाई गई थी,उसी फसल को काटकर हमने गाँव में रखा हुआ है जिसे गाँव के चौपाए अभी भी खा रहे है उन्हें कुछ नही हुआ।वही अनीता बाई का कहना है कि हमारे छोटे चौपाए उसी कोदो की फसल को खा रहे हैं।उन्हें कुछ नही हुआ तो इतने बड़े हाथी कैसे मारे गए।

क्या मोदी मिशन को एमपी में लग जाएगा विराम 

जिस मोटे अनाज यानी कोदो कुटकी को प्रमोट करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 के दिसंबर में देश की बड़ी पंचायत यानी संसद में कृषि मंत्रालय की मेजबानी में विशेष मिलेट्स लंच में शामिल हुए थे। वही जब शहडोल दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी का भोजन का मेन्यू देश राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बना था जिसमे कोदो का भात,कुटकी की खीर भी शामिल था।अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने माइकोटोक्सीन एक प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला विष है। जो की विशेष फफूंदों द्वारा उत्पन्न होता है। सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से जिस तरीके से पौधों की फसल में माइक्रोटोक्सीन पैदा होने की जानकारी तेजी से वायरल हुई है। लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि माइकोटोक्सीन पौधों की फसल के अलावा मेवे, मसाले, कॉफी बींस और कई अनाज में उत्पन्न हो सकता है।लेकिन कोदो में मायकोटाक्सिन की खबर इस मोटे अनाज की ब्रांडिंग में बड़ा असर डाल सकती है।

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